लखनऊ , समाजवादी पार्टी में मचे घमासान का असर उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में पडना तय है। सपा में पल पल बदलते हालात पर पैनी नजर जमाये भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी चुनाव की घडी निकट आने के बावजूद अपने पत्ते खोलने में फिलहाल एहतियात बरत रही हैं।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं। मामला अब चुनाव आयोेग के पाले में है। आयोग इस मसले पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों को बारीकी से परखेगा और यह भी संभावना है कि साइकिल चुनाव चिन्ह फिलहाल जब्त कर लिया जाये।
सपा के चुनाव चिन्ह को जब्त करने का आयोग का फैसला भाजपा और बसपा के लिये बल्ले- बल्ले साबित होगा लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जायेगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अखिलेश यादव से बढती नजदीकियों से कयास लगाये जा रहे हैं कि साइकिल चुनाव चिन्ह न मिलने पर कांग्रेस अखिलेश खेमे के प्रत्याशियों को अपना चुनाव निशान देकर इस दोस्ती की मिठास को और गाढा करे।
इस मसले में हालांकि सूबे के राज्यपाल राम नाईक हालांकि अहम भूमिका होगी जो सपा में मचे घमासान के बीच राज्य के राजनीतिक हालात पर कडी नजर रखे हुये हैं और हर गतिविधि की रिपोर्ट केन्द्र को भेज रहे हैं। नाईक ने कहा कि राज्य में फिलहाल कोई संवैधानिक संकट नही है। किसी राजनीतिक दल अथवा विधायक ने अब तक मुझसे संपर्क नही किया है। यदि कोई आता है तभी मै कोई कार्रवाई कर सकता हूं। संवैधानिक पद पर होने के नाते मै हालात पर नजर रखकर अपना दायित्व निभा रहा हूं।
दूसरी ओर, सूबे की सत्ता हासिल करने के लिये बेताब भाजपा ने सभी विकल्प खुले रखे हैं। पार्टी की परिवर्तन महारैली ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सपा की कलह को पारिवारिक ड्रामा करार करते हुये कहा कि किसान और गरीब की चिन्ता करने के बजाय मुख्यमंत्री की सीट के लिये मारामारी हो रही है जो अति निंदनीय है। सूबे की जनता इस कृत्य के लिये सपा को कभी माफ नही करेगी।
इस बीच बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बहनजी मायावती हालात पर पैनी नजर जमाये है और जल्द ही वह आधिकारिक रूप से इस मामले में कोई बयान देंगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने साफ किया कि मुलायम को अखिलेश का नेतृत्व स्वीकार कर लेना चाहिये। वह प्रदेश का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। उन्होने संकेत दिया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि मुलायम कांग्रेस के साथ गठबंधन का विरोध कर चुके हैं।