मथुरा , 2 जून को मथुरा के जवाहरबाग में अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं और करीब 600 लोगों को मार डाला था। बाद में राख को छान-छान कर हड्डियां निकाली गईं और इसे कहीं फेंकवा दिया गया। लेकिन मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव जिंदा है। यह चौंकाने वाला खुलासा किया है रामवृक्ष यादव के वकील तरुण गौतम ने।
रामवृक्ष यादव के वकील तरुण गौतम ने बताया कि जब 2 जून को पुलिस जवाहर बाग में दीवार तोड़कर घुसने की कोशिश कर रही थी, तब वह भी रामवृक्ष के साथ थे। उन्होंने बताया कि लोकल कोर्ट में रामवृक्ष यादव बनाम सुबोध यादव की सुनवाई थी। इस दौरान कोर्ट ने रामवृक्ष का शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। वह जवाहर बाग गए, जहां पर रामवृक्ष के बेटे विवेक यादव ने लैपटॉप पर शपथपत्र टाइप किया। रामवृक्ष ने इस पर साइन किया। उसी समय मोबाइल पर उनके पास फोन आया कि पुलिस जवाहर बाग के पीछे की दीवार तोड़ रही है, हमला होने वाला है। इसके बाद वह मेन गेट से बाहर आ गए और गोलीबारी शुरू हो गई।
वकील तरुण गौतम का दावा है कि पुलिस ने 2 जून को जवाहरबाग में अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं और करीब 600 लोगों को मार डाला था। जो घायल हुए थे, उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। बाद में राख को छान-छान कर हड्डियां निकाली गईं और इसे कहीं फेंकवा दिया गया। यहां का नजारा जलियांवाला बाग कांड से भी भयानक था।
तरुण गौतम के मुताबिक, पुलिस ने माना है कि घटना के दौरान जवाहर बाग में 3 से 4 हजार लोग मौजूद थे। उनके हिसाब से 600 से ज्यादा लोग जवाहरबाग में मारे गए। जो लोग भाग रहे थे, उनकी जबरदस्त पिटाई हो रही थी और नजारा जलियांवाला बाग कांड से भी भयानक था। पुलिस ने जिन-जिन को गोलियां मारी, उन सभी को आग में फेंक दिया और बाद में राख भी छान दी। इसमें मिली हड्डियों को किसी जगह पुलिस ने फेंक दिया। 4 दिनों तक जवाहरबाग को सील करके पुलिस ने हत्या के तमाम सबूत मिटा दिए। घटना की सीबीआई जांच होने के बाद ही हत्या के सही आंकड़े का पता चल सकेगा। उनका दावा है कि रामवृक्ष के लोगों के पास हथियार नहीं थे। जितने हथियार बरामद करने का पुलिस दावा कर रही है, वह गलत है। अगर इतने हथियार होते तो कैजुअल्टी और ज्यादा होती।
उनका ये भी दावा है कि रामवृक्ष यादव अभी मरा नहीं है। गौतम के मुताबिक, घटना की शाम को रामवृक्ष यादव बुरी तरह घायल होकर पुलिस लाइन की तरफ आया था। इसके बाद उसका क्या हुआ, ये जानकारी नहीं है।वकील ने यह भी दावा किया कि रामवृक्ष यादव अभी भी जिंदा है। उसकी बेटी गुड़िया की तरफ से उन्होंने शव की पहचान करनी चाही तो पुलिस ने मना कर दिया। जब उन्होंने अफसरों से कहा कि रामवृक्ष की बेटी पिता का शव लेना चाहती है, तो शव को पोस्टमार्टम के बाद देने की बात कही गई। जब 6 मई की सुबह 11 बजे डीएम और एसएसपी नहीं मिले, तो वह सीओ चक्रपाणी से मिले। चक्रपाणी ने बताया कि शवों को अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया है। रामवृक्ष यादव की बेटी गुड़िया को भी जान का खतरा है, इसलिए वह सामने नहीं आ रही है।