नयी दिल्ली, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी एस कर्णन ने अदालत की अवमानना मामले में छह माह की जेल की सजा पर रोक लगाने की आज मांग की. न्यायमूर्ति कर्णन के वकील मैथ्यू जे नेदुमपारा ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ से गिरफ्तारी आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया.
मीडिया, अदालतों और न्यायाधिकरणों को, जस्टिस कर्णन के लिये, सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश
मुख्य न्यायाधीश ने वकील से पूछा कि जस्टिस कर्णन कहां हैं तो वकील ने जवाब दिया कि वो चेन्नई में हैं. जस्टिस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती. संविधान के तहत हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के अधीन नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की तरह हाईकोर्ट भी अपने आप में स्वतंत्र है. यह अलग बात है कि हाईकोर्ट के न्यायिक फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले, दलित जज को सुप्रीम कोर्ट ने भेजा जेल
जस्टिस कर्णन का कहना कि आठ फरवरी को उनके खिलाफ जारी नोटिस से लेकर नौ मई तक के तमाम आदेश असंवैधानिक और शून्य हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बिना उनकी उपस्थिति में नौ मई का आदेश पारित किया गया.. ऐसे में कानून की नजरों में उसकी कोई अहमियत नहीं है. यह ‘प्रिसिंपल ऑफ नेचुरल जस्टिस’ के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया पर लगाया प्रतिबंध,कहा- नहीं चलाएेंगे दलित जज के बयानों को….
न्यायमूर्ति केहर ने उन्हें राहत के लिए याचिका दायर करने को कहा. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी याचिका पर तभी सुनवाई हो पायेगी जब गिरफ्तारी आदेश सुनाने वाली सात.सदस्यीय संविधान पीठ के सभी सदस्य उपलब्ध होंगे. इस पर न्यायमूर्ति कर्णन के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया है. नेदुमपारा ने कल भी आदेश में संशोधन को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.