चंडीगढ़, हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शनिवार को 2016 में हुए जाट आंदोलन के दौरान घायल हुए लोगों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। साल 2016 की फरवरी में हुई हिसा में 30 लोग मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हिंसक आंदोलन के दौरान करोड़ों रुपये की सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा जाट समुदाय के अगले कदम से एक दिन पहले की है। जाट समुदाय रविवार को इस हिंसा की पहली वर्षगांठ पर बलिदान दिवस मनाने का आह्वान किया है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने खट्टर के हवाले से कहा, 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जो घायल हुए थे, उनके लिए मुआवजा जारी करने का फैसला किया गया है। प्रवक्ता ने कहा, उस दौरान जो व्यक्ति गोली से घायल हुआ था, उसे एक लाख रुपये दिए जाएंगे, जिस व्यक्ति की हड्डी टूटी थी, उसे 50,000 रुपये तथा जिन्हें मामूली चोटें आई थीं, उन्हें 25,000 रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये मुआवजे मुख्यमंत्री राहत कोष से जारी किए जाएंगे और उपायुक्तों को तुरंत राशि जारी करने का निर्देश दिया गया है। इस हिंसा में 30 लोग मारे गए थे, जिसमें से हरियाणा सरकार ने 17 के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी है, जबकि बाकी के 13 लोगों को दंगाई घोषित किया गया है। वहीं, जाट नेता इस हिंसा में मारे गए सभी लोगों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को आंदोलनकारी जाट नेताओं ने खट्टर सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अब सरकी निगाहें रविवार को जाट नेताओं की प्रस्तावित बैठक पर टिकी हैं, जिसमें आंदोलन के अगले कदम पर विचार किया जाएगा। अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति (एआईजेएएसएस) के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने खट्टर और उनकी सरकार पर आंदोलन को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने हालांकि कहा कि जाट शांतिपूर्वक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।