हरियाणा, स्वराज अभियान के संयोजक योगेन्द्र यादव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि राज्य सरकार 2011 की सामाजिक, आर्थिक एवं जातीय गणना के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े वर्ग की सभी सूचियों की समीक्षा करे और कानून सम्मत कसौटियों पर पिछड़े वर्ग के तहत आरक्षण के सभी दावों का एक बार निपटारा करे। हरियाणा में हाल ही में जाट आरक्षण आंदोलन के हिंसक रूप लेने की पृष्ठभूमि में सामाजिक सौहार्द बनाये रखने की जरूरत को रेखांकित करते हुए योगेन्द्र यादव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में योगेन्द्र यादव ने कहाकि पिछले दिनों हमने प्रदेश के सभी हिंसा प्रभावित इलाकों की यात्रा की और सभी पक्षों से बात की। इस यात्रा के अनुभव से मुझे लगता है कि जाट आरक्षण के पक्ष और विपक्ष में खड़े लोगों का आग्रह अभी बहुत तीखा है। इस सवाल पर जातीय गोलबंदी हो रही है। प्रदेश में पहले ही बहुत जातीय तनाव है। चिंता इस बात की है कि यदि इस मुद्दे को सही तरीके से न सुलझाया गया तो प्रदेश में सामाजिक द्वेष बढ़ सकता है। स्वराज अभियान के संयोजक ने कहा कि पिछले महीने जाट आरक्षण की मांग को लेकर हुए आंदोलन और व्यापक हिंसा के बाद आपकी सरकार ने यह घोषणा की थी कि जाट आरक्षण की मांग को स्वीकार कर लिया गया है। ऐसे फैसले पहले भी हो चुके हैं। लेकिन यह बार-बार न्यायपालिका द्वारा रद्द किए गए हैं। योगेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार जाट समुदाय को आरक्षण देती है तो पूरी सम्भावना है कि यह आदेश भी कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया जाएगा। स्वाभाविक है कि इससे जाट आरक्षण के समर्थकों को लगेगा कि उनके साथ एक बार फिर धोखा हुआ है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, मेरा सुझाव है कि हरियाणा सरकार 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े वर्ग की सभी सूचियों की समीक्षा करे। इस समीक्षा के आधार पर पिछड़े वर्ग की दोनों सूचियों ए और बी को नए सिरे से बनाया जाए। इस तरह से नए और विश्वसनीय आंकड़ों तथा कानून सम्मत कसौटियों के आधार पर केवल जाट ही नहीं सभी गैर-अनुसूचित जाति समुदायों के पिछड़े वर्ग के तहत आरक्षण के दावों का एक ही बार में निपटारा कर दिया जाये। योगेन्द्र ने हरियाणा सरकार को सुझाव दिया कि इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण सवाल पर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं किया जाए जो अदालत में न टिक पाए।