लखनऊ, इलाहाबाद हाईकोर्ट का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है. यह अपने मे अनेक विशेषतायें समेटे है. यूपी मे हाईकोर्ट की स्थापना सबसे पहले आगरा में की गयी थी, 3 साल तक सभी मुकदमों की सुनवाई आगरा में ही हुई जिसके बाद 1869 में इसे इलाहाबाद शिफ्ट कर दिया गया. मौजूद इमारत में हाईकोर्ट को 1916 में लाया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना हाईकोर्ट है, इसकी स्थापना 17 मार्च 1866 में हुई थी, अपनी स्थापना के इसने 150 साल पूरे कर लिए हैं, हाईकोर्ट की एक बेंच लखनऊ में है जिसमे राजधानी लखनऊ समेत आठ ज़िलों से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है.
सर वॉल्टर मॉर्गन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस थे, स्थापना के वक्त यहां सिर्फ 6 जज ही थे, अब यहां जजों के 160 पद हैं, करीब 17 हजार से ज्यादा वकील हाईकोर्ट से जुड़े हुए हैं, देश का ये पहला हाईकोर्ट है जिसके पास अपना म्यूजियम और आर्काइव गैलरी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में देश के कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले दिए गए हैं. इसी कोर्ट में प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द किया गया, 1998 में यूपी के मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल को सीएम पद से हटाने का फैसला दिया, 2010 में राम मंदिर विवाद पर जमीन बंटवारे का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम की शुरआत पिछले साल मार्च में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने की थी.कार्यक्रम के समापन समारोह को आजप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया.