जानिये, क्या हैं राहुल गांधी-तेजस्वी यादव की लंच पालिटिक्स के राजनैतिक मायने
November 18, 2017
नई दिल्ली, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लंच की खबर ने राजनैतिक गलियारे मे हलचल मचा दी है. दोनों नेताओं के लंच पर मिलने को लेकर राजनीतिक अर्थ निकाले जाने लगें हैं.
वैसे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच यह दोस्ती पुरानी है. एक दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी की तारीफों के पुल बांधते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए ट्वीट किया था.वहीं, अभी हाल ही मे तेजस्वी यादव के जन्मदिन पर, राहुल गांधी ने उन्हें बधाई दी थी. जब महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार राहुल गांधी से तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग को लेकर मिले थे, उस समय भी राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव के इस्तीफा लेने से इनकार कर दिया था.
जेडीयू-आरजेडी गठबंधन टूटने के बाद तेजस्वी यादव आरजेडी के उभरते नायक के रूप मे तेजी से सामने आए हैं. भाजपा और जेडीयू के तीखे प्रहारों पर लगातार तेजस्वी यादव ने जमकर पलटवार किया और अपनी वाक्पटुता से प्रभावित किया है. सीबीआई के फंदे में आए परिवार के साथ खुद भी सीबीआई जांच का सामना करते हुये तेजस्वी यादव ने एक संघर्षशील, जुझारू राजनेता की छवि बनायी है.
इधर, राहुल गांधी की इमेज मे भी बड़ा परिवर्तन आया है. गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधा है. अपने तीखे बयानों से लगभग हर दिन मीडिया की सुर्खियां बटोरी हैं. इसका असर दिखने भी लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश में लोग राहुल गांधी को सुनने के लिए भी इकट्ठा हो रहे हैं.
अनौपचारिक मुलाकात के बावजूद दोनों नेताओं के बीच हुई इस लंच बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसे आने वाले बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा हैं.इस घटना से यह तो तय है कि बिहार में भले ही महागठबंधन की सरकार टूट गई हो लेकिन 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और आरजेडी एक ही राजनीतिक मंच साझा कर सकते हैं.
केंद्र में भले ही कांग्रेस पार्टी की सरकार न हो लेकिन देशभर में मौजूद होने के कारण पार्टी की दखल पूरे भारत में तो है ही. चूंकि दोनों नेताओं ने भाजपा के खिलाफ जमकर मोर्चा खोल रखा है और भाजपा से निडरता के साथ लोहा ले रहें हैं, ऐसे मे ये दोनों युवा नेता अगर एक साथ आ जातें हैं तो देश भर मे धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिये एक बड़ी उम्मीद बन सकतें हैं.