लखनऊ, उत्तर प्रदेश के कारागार विभाग की ओर से दी गई एक जानकारी में यूपी के जेलों में 92830 बंदी हैं, जो क्षमता से 60 प्रतिशत अधिक है। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को दी गई सूचना पर नजर डालें तो यहां के जेलों के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आये हैं। डॉ अख्तर रियाज, अपर महानिरीक्षक (प्रशासन) द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार प्रदेश में कुल 70 कारागार हैं जिसमे नैनी (इलाहाबाद), वाराणसी, फतेहाबाद, बरेली तथा आगरा में पांच केंद्रीय कारागार तथा लखनऊ और बरेली में तीन विशेष कारागार हैं।
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इन सभी कारागारों की कुल क्षमता 58,111 है, जिसमें 51,839 पुरुष, 2,956 महिलाऐं और 3,316 अल्प-व्यस्क हेतु व्यवस्था शामिल है। 30 अप्रैल, 2017 तक यूपी में कुल 27,207 दोषसिद्ध कैदी थे, जिसमें 25,975 पुरुष, 1,079 महिला, 83 अल्पव्यस्क तथा 137 विदेशी कैदी थे। साथ ही महिला कैदियों के साथ 33 बालक और 34 बालिकाएं भी थीं। उस तिथि को समस्त कारागारों में कुल 65,152 विचाराधीन कैदी थे, जिसमे 59,507 पुरुष, 2,706 महिला, 3,001 अल्पव्यस्क, 227 विदेशी तथा 115 अन्य कैदी शामिल थे।
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इसके अतिरिक्त महिला कैदियों के साथ 239 बालक और 165 बालिकाएं थीं। इस तरह 30 अप्रैल को यूपी के कारागारों में कुल 92,830 लोग थे जिसमें 11,470 केंद्रीय कारागारों तथा 699 विशेष कारागारों में थे। इनमें 364 विदेशी कैदी शामिल थे। यह इन कारागारों की वास्तविक क्षमता से 60 प्रतिशत अधिक था।
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साथ ही विचाराधीन कैदियों की संख्या दोषसिद्ध कैदियों से 2.4 गुणा थी।नूतन के अनुसार, इस प्रकार केंद्रीय कारागारों में क्षमता से बहुत अधिक कैदियों का होना तथा इनमें काफी संख्या में विचाराधीन कैदी का होना भी चिंता का विषय है और इस सम्बन्ध में शीघ्र कार्यवाही की आवश्यकता है।
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