सर्ऱाफ़ा व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ज्वेलरी व्यापार को भी बड़े उद्योगपतियों के देना चाहती है।सर्राफ़ा व्यापारियों का मानना है कि ग़ैर ब्रांडेड ज्वेलरी पर एक्साइज़ ड्यूटी इस क्षेत्र के व्यापार को भी बड़े उद्योगपतियों के देने की तैयारी का हिस्सा है। अंबानी और टाटा जैसे बड़े ब्रांड भी ज्वेलरी क्षेत्र में हैं. सरकार का यह नया क़दम ऐसे ही बड़े उद्योगपतियों की मदद के लिए हैं.बजट में प्रस्तावित एक्साइज़ ड्यूटी के ख़िलाफ़ सर्ऱाफ़ा व्यापारियों की हड़ताल लगातार 11वें दिन जारी है। ताज़ा बजट में किए गए प्रावधानों को लेकर सर्राफ़ा बाज़ार में रोष है।देश के लाखों सर्राफ़ा व्यापारियों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. दस दिनों से सारी ज्वेलरी की दुकानें बंद हैं।
ऑल इंडिया सर्राफ़ा एसोसिएशन उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “जब तक सरकार एक्साइज़ ड्यूटी में बढ़ोत्तरी को वापस नहीं लेगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.”ऑल इंडिया बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन के महासचिव सुरेंद्र मेहता कहते हैं, “भारत हर साल 900 टन सोना आयात करता है. जिसमें से 550 टन का इस्तेमाल जूलरी बनाने में होता है. ऐसे में सिर्फ़ जूलरी पर ही 1 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी क्यों. सरकार सोना आयात पर एक प्रतिशत आयात ड्यूटी लगा दे. इससे सरकार की कमाई बढ़ेगी और इस पर नज़र रखना भी आसान होगा.”
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “देश के अलग-अलग हिस्सों के ज्वेलरी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की जिन्होंने एक्साइज़ ड्यूटी के लघु उद्योग को प्रभावित करने और हज़ारों कारीगरों के सामने रोज़गार का संकट पैदा होने की चिंता ज़ाहिर की.”
आम आदमी पार्टी के अधिकारिक अकाउंट से लिखा गया, “गुजरात में मोदी ने इस एक्साइज़ ड्यूटी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी. ऐसा क्या है कि तब ये स्वीकार्य नहीं थी, लेकिन अब है.” आगरा में प्रदर्शनकारी सर्राफ़ा व्यापारियों ने ‘नमो टी स्टाल’ लगाकर प्रदर्शन किया।