प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि आपसी विवाद तय करने का दबाव बनाने के लिए झूठे दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध के केस दर्ज़ कराने वाले पर कड़ाई बरतने की जरूरत है।
न्यायालय ने कहा कि दुष्कर्म की झूठी एफआईआर दर्ज कर निजी झगड़े निपटाने के लिए आपराधिक न्याय तंत्र को टूल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसी के साथ कोर्ट ने शिकायतकर्ता पीड़िता के खिलाफ दस हजार रुपए हर्जाना लगाया और 10 दिन में जमा न करने पर राजस्व वसूली प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया है। हालांकि शिकायतकर्ता व आरोपी शादी कर पति पत्नी का जीवन बिता रहे हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति वी के सिंह की खंडपीठ ने शिवम कुमार पाल उर्फ सोनू पाल व तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची के खिलाफ प्रयागराज कोतवाली में दुष्कर्म व अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के आरोप में 11 जून 23 को दर्ज झूठी एफआईआर को रद्द कर दिया है।
गौरतलब है कि पीड़िता ने याची के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई । दोनों में सुलह हो गई। पीड़िता और याची ने शादी कर ली। दोनों पति-पत्नी की तरह खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।
पीड़िता ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को पत्र लिखकर कहा कि विवाद के कारण क्रोध में उसने याची के खिलाफ दुष्कर्म का फर्जी एफआईआर कराया है जिसके आधार पर यह याचिका दायर कर आरोपी ने एफआईआर रद्द करने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।