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ट्रम्प प्रशासन के घटनाक्रमों पर रहेगी बाजार की नजर

मुंबई, खुदरा महंगाई के इस वर्ष अक्टूबर में चौदह महीने के उच्चतम स्तर को छूने के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दरों में कटौती की संभावना कमजोर पड़ने से हतोत्साहित निवेशकों की जबरदस्त बिकवाली से बीते सप्ताह करीब ढाई प्रतिशत तक लुढ़के शेयर बाजार की अगले सप्ताह अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम प्रशासन के आगे के घटनाक्रमों और उभरते बाजारों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रहेगी।

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1906.01 अंक अर्थात 2.4 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर लगभग साढ़े चार महीने बाद 78 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 77550 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 615.5 अंक यानी 2.5 प्रतिशत की भारी गिरावट लेकर 23532.70 अंक पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह ही मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी जमकर बिकवाली हुई। इससे मिडकैप 1790.47 अंक अर्थात 3.9 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 44289.60 अंक और स्मॉलकैप 2531.87 अंक यानी 4.6 प्रतिशत टूटकर 52381.98 अंक रह गया।

विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू बाजार सुधार के दौर में है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजों और विदेशी फंडों के निरंतर निकासी से निवेश धारणा पर असर पड़ा। इससे दोनों मानक सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी के हाल ही में ऊंचाई के नए शिखर तक पहुंचने के बाद से लगभग 10 प्रतिशत तक गिर चुके हैं।

वहीं, दूसरी ओर घरेलू स्तर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने, मजबूत डॉलर सूचकांक और अमेरिका में 10-वर्षीय ब्याज दर में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि अल्पावधि में बाजार में अस्थिरता जारी रहेगी। ऐसे में उचित आय वृद्धि के बिना प्रीमियम मूल्यांकन की निरंतरता कायम नहीं रह पाने की आशंका में निवेशक जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों में अपनी स्थिति समाप्त करने की होड़ में लगे हुए हैं।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनियों के कमजोर नतीजों ने वित्त वर्ष 2024-25 के निफ्टी ईपीएस अनुमानों में और गिरावट की गुंजाइश बढ़ा दी है। चालू वित्त वर्ष के लिए निफ्टी ईपीएस अनुमान में दो से तीन प्रतिशत की गिरावट की संभावना है। वित्त वर्ष 2024-2025 की पहली छमाही में कंपनियों के परिणाम में आई गिरावट के बीच निवेशकों को सरकारी खर्च में तेजी आने, अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में सुधार के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की आय में कुछ सुधार की उम्मीद है। निकट भविष्य में सुदृढीकरण की प्रक्रिया जारी रह सकती है वहीं पिटे हुए मूल्य स्टॉक अपने संभावित दृष्टिकोण के कारण नीचे की ओर गिर सकते हैं।

अगले सप्ताह ट्रम्प प्रशासन के घटनाक्रमों और उभरते बाजारों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव पर निवेशकों की नजर रहेगी। ट्रम्प प्रशासन के नीति प्रस्तावों से अमेरिकी महंगाई पर दबाव बढ़ने की संभावना है, जिसका भविष्य में फेड की ब्याज दर में कटौती पर प्रभाव पड़ सकता है।

बीते सप्ताह शुक्रवार को गुरू नानक जयंती के अवसर पर अवकाश के कारण बाजार में चार दिन ही कारोबार हुआ, जिनमें से एक दिन सपाट जबकि लगातार तीन दिन गिरावट रही। विश्व बाजार की तेजी के बीच स्थानीय स्तर पर आईटी, बैंकिंग, टेक और फोकस्ड आईटी समेत छह समूहों में हुई लिवाली से सोमवार को शेयर बाजार मामूली बढ़त के साथ सपाट बंद हुआ। सेंसेक्स 9.83 अंक बढ़कर 79,496.15 अंक हो गया जबकि निफ्टी 6.90 अंक फिसलकर 24,141.30 अंक पर सपाट रहा।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संभावित नीतियों की चिंता से विश्व बाजार में आई भारी गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर कंपनियों की दूसरी तिमाही के कमजोर परिणाम और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार जारी पूंजी निकासी से हताश निवेशकों की चौतरफा बिकवाली से मंगलवार को सेंसेक्स 820.97 अंक का गोता लगाकर लगभग 78,675.18 अंक और निफ्टी 257.85 अंक की गिरावट लेकर 23,883.45 अंक रह गया।

देश में अक्टूबर की खुदरा महंगाई के चौदह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से आरबीआई के ब्याज दर में कटौती करने की उम्मीदें धूमिल होने के साथ ही कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे से हतोत्साहित निवेशकों की चौतरफा भारी बिकवाली से बुधवार को सेंसेक्स 984.23 अंक का गोता लगाकर 77,690.95 अंक और निफ्टी 324.40 अंक की बड़ी गिरावट के साथ 23,559.05 अंक पर आ गया।

इसी तरह विश्व बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले इंडिया, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स और मारुति समेत बीस दिग्गज कंपनियों में हुई बिकवाली से गुरुवार को सेंसेक्स 110.64 अंक की गिरावट लेकर 77,580.31 अंक और निफ्टी 26.35 अंक फिसलकर 23,532.70 अंक पर बंद हुआ।