नई दिल्ली, ट्रेन में मिलने वाला कंबल दो महीने में एक बार ही धुलता है. रेलवे का यह राज़ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने आज राज्यसभा में खोला.2 महीने यानि 60 दिनों तक उस कंबल को न जाने कितने यात्री ओढ़ते हैं. उनमें से कुछ ऐसे भी होंगे जिन्हें किसी तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसका मतलब ये है कि आप ट्रेन में कंबल नहीं बल्कि बीमारियों को ओढ़ कर सोते हैं.जरा सोचिए कितना खतरनाक है ये और हम आपको कितनी बीमारियां दे सकता है दो महीने तक बिना धुला हुआ कंबल.
एसी कोच में यात्रा के लिए आप जो किराया देते हैं उसमें ट्रेन में मिलने वाले बिस्तर की कीमत भी शामिल होती है. लेकिन उस पैसे के बदले आपको सुविधा की जगह मिलता है बीमारियों का खतरा.एक तरफ भारतीय रेल को आधुनिक बनाने और रेल के सफर को हवाई सफर जैसा बनाने के दावे हो रहे हैं. वहीं हकीकत ये है कि यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल की सफाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट पेश करते समय भारतीय रेल के सुनहरे सपने दिखाए थे, लेकिन सिर्फ 24 घंटों में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भारतीय रेल की हकीकत सबके सामने रख दी.
सरकार का कहना है कि फिलहाल 41 लांड्रियों में बिस्तरों की सफाई का काम होता है और जल्द ही 25 और लांड्रियों में ये काम शुरू होगा. वहीं इस बजट में सरकार ने ऐसे बेडरोल की भी व्यवस्था शुरू की है जिसे यात्री खरीद कर इस्तेमाल करें और अपने साथ ले जाएं.