नई दिल्ली, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक प्रमुख सदस्य की ओर से एक बार में तीन तलाक बोलने की प्रथा को डेढ़ साल में खत्म करने को लेकर दिए गए बयान का भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने आज स्वागत किया, साथ ही यह सवाल भी किया कि तीन तलाक खत्म करने के लिए 18 महीने क्यों चाहिए और इसके खिलाफ उलेमा लोग अभी एलान क्यों नहीं करते।
बीएमएमए की सह-संस्थापक नूरजहां सफिया नियाज ने कहा, पर्सनल लॉ बोर्ड के कुछ सदस्यों के बयान का हम स्वागत करते हैं। लेकिन सवाल है कि तीन तलाक खत्म करने के लिए इनको 18 महीने का समय क्यों चाहिए? इसे अभी खत्म क्यों नहीं किया जा सकता।
हमारी मांग है कि उलेमा लोग आज ही ऐलान कर दें कि तीन तलाक अब नहीं माना जाएगा। बीएमएमए तीन तलाक, बहुविवाह और पर्सनल लॉ से जुड़े कुछ दूसरे मुद्दों को लेकर पिछले कई वषो से अभियान चला रहा है। तीन तलाक के खिलाफ उसने देश भर में लाखों मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर लिए तथा विधि आयोग को पर्सनल लॉ का मसौदा भी सौंपा।
सफिया नियाज ने पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य के हालिया बयान को मुस्लिम महिलाओं के दबाव का असर करार दिया। उन्होंने कहा, मुस्लिम महिलाएं जाग चुकी हैं, वे अपना हक मांग रही है। उनके दबाव का असर है कि अब ये लोग तीन तलाक को खत्म करने की बात कर रहे हैं। पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने बीते सोमवार को कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोड खुद ही अगले एक-डेढ़ साल में एक-साथ तीन बार तलाक बोलने की प्रथा को खत्म कर देगा और सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
उन्होंने सोमवार रात लखनऊ में हजरत अली के जन्म दिन पर आयोजित मुशायरे से इतर जिला दीवानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एक-साथ तीन बार तलाक बोलने वाली प्रथा महिलाओं के पक्ष में गलत है। लेकिन यह समुदाय का निजी मसला है और वे खुद एक-डेढ़ साल के भीतर इसे सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।