लखनऊ, समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि समाजवादी दलित समाज के स्वाभाविक मित्र और सहयोगी है। लेकिन कुछ दल और व्यक्ति हैं जो डाॅ. अम्बेडकर को संकीर्ण घेरे में बांधकर अपने स्वार्थ साधन में लगे हुए हैं। इन्होंने डाॅ. अम्बेडकर के आन्दोलन को बहुत पीछे कर दिया है और दलित समाज को गुमराह कर सत्ता हासिल करना ही अपना जीवन ध्येय मान लिया है।
उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि जब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में प्रदेश में समाजवादी सरकार बनी तो उन्होंने विधान सभा मार्ग का नाम डाॅ. अम्बेडकर के नाम पर रखा। बजट में उन्होंने 10 हजार अम्बेडकर गांवो की व्यवस्था की। विधानसभा के सामने लखनऊ में अम्बेडकर महासभा के लिए एक बंगला दिया। अखिलेश यादव ने जब मुख्यमंत्री पद सम्हाला तो उन्होने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराकर केन्द्र सरकार को भेजा। इससे पूर्व सन् 2005 में जब मुलायम सिंह यादव ने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण की सुविधा दी थी तो बसपा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री बनते ही इस सुविधा को रद्द कर दिया था। अब वे फिर चुनाव नजदीक आने पर दलितों और पिछड़ों का राग अलापने में लगी है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ में डाॅ. अम्बेडकर का भव्य स्मारक बनाए जाने की घोषणा की है। नगरीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति बहुल मलिन बस्तियों के विकास हेतु अलग से बजट में प्रावधान किया गया है। दलित छात्रों की मुफ्त पढ़ाई, कोचिंग और हॉस्टल की सुविधा प्रदान की है। मुख्यमंत्री समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के प्रति बहुत संवेदनशील है। वे चाहते है कि दलितों, वंचितो के चेहरे पर भी मुस्कान आए। इसके लिए वे उन्हें सम्मान, सुरक्षा और अवसर देने के लिए संकल्पित है।
राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने एक समय समाजवादी नेता डाॅ. राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर राजनीति को नई दिशा देने के लिए वार्ता की थी। आज भी समाजवादी अम्बेडकर को परम विद्वान, समाज सुधारक तथा संविधान निर्माता के रुप में सम्मान करते हैं। यही नही, प्रवक्ता ने कहा कि डाॅ. अम्बेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों ने दलित समाज के उत्थान के लिए कुछ नही किया। बाबा साहेब का नाम लेकर या उनकी प्रतिमांए लगाकर विशेषकर, बसपा के शासन काल में सर्वाधिक शोषण दलितों का ही हुआ था। बसपा अध्यक्ष अपने को दलितों की बेटी बताते हुए थकती नही पर उनका आचरण एवं व्यवहार पूरी तरह ठीक विपरीत दिशा में है। उनकों दलितों का अपनी कोठी की चौखट तक आना भी गंवारा नही है। बसपा राज में दलित बहू-बेटियों की इज्जत पर खूब हमले हुए। बसपा के विधायक और मंत्री हत्या, अपहरण, लूट और बलात्कार के रिकार्ड बनाते रहे।