नई दिल्ली, सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी एचसीएल के संस्थापक एवं अध्यक्ष शिव नादर पिछले साल 630 करोड़ रुपए का दान कर देश के सबसे बड़े दानी बन गए हैं। वर्ष 2015 में पहले नंबर पर रहने वाले विप्रो के अजीम प्रेमजी 13वें नंबर पर खिसक गए हैं।
हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा जारी सूची में 27 भारतीयों को जगह मिली है। पिछली सूची में 36 भारतीय सूची में शामिल थे। श्री नादर ने शिव नादर फाउंडेशन के जरिये 630 करोड़ रुपए का दान किया। इसमें 458 करोड़ रुपए शिव नादर विश्वविद्यालय के लिए अतिरिक्त आधारभूत ढांचा बनाने पर खर्च किया गया। पिछले साल वह छठे स्थान पर रहे थे।
पिछले साल 17वें स्थान पर रहने वाले इंफोसिस के 61 वर्षीय सहसंस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन और उनकी पत्नी सुधा दूसरे स्थान पर रहीं। उन्होंने अपने ट्रस्ट के जरिये 313 करोड़ रुपए दान किए। रिलायंस इस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 303 करोड़ रुपए का दान देकर तीसरे स्थान पर रहे।
भारतीयों में शीर्ष दस में इसके बाद क्रमशः पूनावालिया समूह के साइरस एस. पूनावालिया (250 करोड़ रुपए), बजाज ऑटो के राहुल बजाज और परिवार (244 करोड़ रुपए), स्वदेश फाउंडेशन के रूनी स्क्रूवाला (160 करोड़ रुपए), पिरामल इंटरप्राइजेज के अजय पिरामल (111 करोड़ रुपए), गोदरेज परिवार (75 करोड़ रुपए), शापूरजी पालोनजी समूह के शापूरजी पालोनजी मिस्त्री (68 करोड़ रुपए) और ङ्क्षजदल स्टील एंड पावर की सावित्री ङ्क्षजदल एवं परिवार (53 करोड़ रुपए) का स्थान रहा।
इस सूची में 10 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा दान करने वालों को शामिल किया गया है। वैश्विक सूची में जहां भारत के 27 दानी हैं, वहीं चीन के 100 दानी हैं। बायोकॉन की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ सूची में शामिल एक मात्र भारतीय महिला हैं जिन्होंने अपने दम पर कारोबार खड़ा किया है। उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक विकास के लिए 45 करोड़ डॉलर का दान किया है।
हुरुन की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2016 में दानियों ने सबसे ज्यादा 818 करोड़ रुपए शिक्षा के लिए किया। कुल 48 प्रतिशत दानियों ने इस मद में खर्च किया जिसमें सबसे ज्यादा 630 करोड़ रुपए श्री नादर ने खर्च किए। स्वास्थ्य पर 208 करोड़ डॉलर खर्च किया गया। इस मामले में 146 करोड़ के दान के साथ श्री अंबानी अव्वल रहे। सेनिटेशन पर 153 करोड़ रुपए, सामाजिक विकास पर 115 करोड़ रुपए और ग्रामीण सशक्तिकरण पर 86 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वर्ष 2015 में जहां 26 दानियों ने शिक्षा पर दान किया था पिछले साल मात्र 13 दानियों ने इस मद में दान किया। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दान देने वालों की संख्या 13 से बढ़कर 14 और सामाजिक एवं ग्रामीण विकास पर दानियों की संख्या 10 से बढ़कर 17 हो गई है। वर्ष 2015 में सेनिटेशन और जीविकोपार्जन के लिए किसी ने भी दान नहीं किया था, वहीं इस साल तीन-तीन लोगों ने इस मद में दान दिया है। महादानियों के मामले में भारतीय शहरों में मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान बरकरार रखा है। सूची में 10 दानी मुंबई से, चार बेंगलुरु से और तीन नई दिल्ली से हैं।