नयी दिल्ली, कांग्रेस ने ‘अमृत महोत्सव’ पर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाले 11 कैदियों को माफ करने के गुजरात सरकार के फैसले को बुधवार को गैरकानूनी बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह को इस मामले में देश को जवाब देना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह रिहाई अवैध है और गंभीर अपराधों में लिप्त अपराधियों को इस तरह रहा नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय का हवाला देकर गुमराह किया गया है इसलिए इस मुद्दे पर श्री मोदी तथा श्री शाह के साथ ही गुजरात सरकार को भी जवाब देना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसको लेकर सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा “पांच महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी तीन साल की बच्ची की हत्या करने वालों को ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान रिहा किया गया। नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है।”
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया और कहा “एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप व उसकी बच्ची की हत्या के अपराध में सभी अदालतों से सजा पा चुके अपराधियों की भाजपा सरकार द्वारा रिहाई, कैमरे के सामने स्वागत- क्या अन्याय व संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है। श्री नरेंद्र मोदी जी का स्त्री का सम्मान केवल भाषणों के लिए। महिलाएं पूछ रही हैं।”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों को इस तरह क्षमा नही किया जा सकता। गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को अमृत महोत्सव पर 11 बलात्कारियों को क्षमा देकर कई नियम तोडे है। बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में मजहब नहीं देखा जाता और इसमें अपराधी को सजा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार कहती है कि उसने 1992 की नीति के तहत यह निर्णय लिया है लेकिन वह 2013 में इस नीति को समाप्त कर चुकी है तो फिर इस नीति के तहत कैसे माफी दी गई। बलात्कारियों, सामूहिक बलात्कारियों, हत्यारों को क्षमादान नहीं दिया जा सकता लेकिन यहां अमृत महोत्सव पर ऐसे गंभीर अपराधियों को क्षमा दी गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस रिहाई में नियमों की जबरदस्त तरीके से अनदेखी हुई है इसलिए सरकार को इन कैदियों को रिहा करने वाले जेल के परामर्श समिति में शामिल उन लोगों की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए जिनकी सिफारिशों के आधार पर लिया गया है।