लखनऊ, भारत के लोकतंत्र की यह विशेषता है कि यहां आप अपनी मेहनत और लगन के बल पर कोई भी ऊंचाई प्राप्त कर सकतें हैं। मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने आज पत्रकार रहे नॉन्गथोमबाम बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई और इसके साथ ही 56 साल के बीरेन सिंह पत्रकार से सूबे के मुख्यमंत्री बन गये हैं।
राजनीति में आने से पहले एन बीरेन सिंह राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉलर थे और उसके बाद उन्होंने पत्रकारिता को करियर बनाया। बीरेन ने स्थानीय भाषा में दैनिक अखबार की शुरुआत की थी।अखबार चलाना आसान नही है और इस दुश्वारी से बीरेन सिंह को भी जूझना पड़ा। आर्थिक संकट के चलते, अखबार चलाने के लिए उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली दो एकड़ जमीन भी बेचनी पड़ी। धीरे-धीरे, पत्रकारिता के कारण, सूबे की राजनेताओं के संपर्क मे आये। एक समय एेसा आया जब पत्रकारिता से ज्यादा राजनीति आकर्षित करने लगी। फिर, राजनीति में आने के लिए उन्होंने साल 2001 में अपने अखबार को दो लाख रुपए में बेच दिया।वर्ष 2002 में, बीरेन सिंह ने अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया। उन्होंने राजनीति का सफर एक क्षेत्रीय पार्टी डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी(डीआरपीपी) से किया। डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ा और वह मणिपुर की हेनगांग विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव जीते। डीआरपीपी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में 23 उम्मीदवार उतारे, जिनमें से महज दो को जीत मिली थी। बीरेन सिंह भी इन दो विधायकों में एक थे। चुनाव जीतने के बाद बीरेन और उनकी पार्टी कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा बन गए। इबोबी सिंह सरकार में बीरेन मंत्री बनाए गए थे। साल 2004 में डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। 2007 में बीरेन ने पहली बार कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद उन्होने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की। बीरेन को मंत्री भी बनाया गया और इस दौरान उन्होंने कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। वह मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के खास सहयोगी माने जाते थे। 2016 अक्टूबर में बीरेन ने अंसतोष जाहिर करते हुए इबोबी सिंह सरकार और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। एन बीरेन अक्टूबर2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और आज 15 मार्च 2017 को वह मणिपुर के मुख्यमंत्री हो गयें हैं।