नयी दिल्ली, आधुनिकता एवं सूचनाओं के तमाम विकल्पों के बावजूद देश की तीन चौथाई से अधिक लगभग 82 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं और आज भी माहवारी के दौरान पुराने तौर.तरीके अपनाती हैं।
दिलचस्प बात यह भी है कि सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने वाली शेष महिलाएं भी प्रोडक्ट के सही इस्तेमाल को लेकर जागरुक नहीं हैं। दोनों ही तथ्यों के बारे में गौर किया जाये तो इसकी प्रमुख वजह यही सामने आती है कि अधिकांश तौर पर महिलाएं इस संबंध में किसी से खुलकर चर्चा नहीं करना चाहतीं और असुरक्षित विकल्प अपनाने के लिए विवश रहती हैं। इसका परिणाम उनके मूत्र एवं प्रजनन वाले हिस्से में संक्रमण के अलावा मानसिक तनाव एवं चिंता के रूप में सामने आता है।
आगामी 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के मौके पर पहले मासिक धर्म जागरुकता सम्मेलन के दौरान महत्वाकांक्षी पंचवर्षीय योजना नाईन मूवमेंट का दिल्ली में शुभारंभ किया जायेगा। इस मूवमेंट को प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने अपना समर्थन दिया है। अक्षय कुमार की हाल ही में पुरस्कार प्राप्त फिल्म श्पैडमैनश् में मासिक धर्म से जुड़ी गलत अवधारणाओं और समस्याओं पर प्रकाश डाला गया था। सम्मेलन में जानी.मानी फिल्मी हस्तियांए अकादमिकए एनजीओए सामाजिक कार्यकर्ता एवं विचारक हिस्सा लेंगे। सम्मेलन के प्रतिभागी मासिक धर्म से जुड़ी उन गलतफहमियों पर चर्चा करेंगे ए जिनके कारण सदियों से लड़कियों और महिलाओं को उनकी क्षमता के सही इस्तेमाल और मासिक धर्म के दौरान गरिमामय जीवन जीने से दूर रखा जाता रहा है।
नाईन मूवमेंट के संस्थापक अमर तुलस्यान का कहना है कि मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरुकता एक बड़ा गंभीर मुद्दा है। देश में बड़ी संख्या ऐसी महिलाओं की है जो पीरियड्स के दाैरान सुरक्षित और हाईजीनिक उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करतीं। उन्हाेंने कहा ए ष्मुझे उम्मीद है कि हम हर व्यक्ति को नाइन मूवमेंट के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकेंगे। मुझे विश्वास है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इस बारे में खुलकर चर्चा के जरिए और लोगों को शिक्षित कर मासिक धर्म से जुड़ी अवधारणा में बदलाव लाने के साथ ही पाबंदियाें पर रोक लगा सकते हैं। तुलस्यान ने कहाए ष् नाईन मूवमेन्ट का उद्देश्य लड़कियोंए महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान हाइजीनिक उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए चर्चा एवं विचार.विमर्श के लिए प्रोत्साहित करना है ए ताकि इस दृष्टि से एक खुला माहौल बनाया जा सके।