नयी दिल्ली, लोकसभा में विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार की नीति सबको साथ लेकर चलने की नहीं है और उसके फैसलों से चंद लोगों को फायदा हो रहा है इसलिए समाज में आर्थिक असमानता बढ़ रही है लेकिन सरकार इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
कांग्रेस के अमर सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में ‘वित्त विधेयक 2021’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि इस सरकार की सबसे बड़ी खराबी यह है कि वह सच्चाई स्वीकार नहीं करती और हर कमजोरी को असत्य के पर्दे से ढकने की कोशिश करती है। उनका कहना था कि देश की आर्थिक स्थिति कोरोना महामारी से पहले ही बहुत खराब थी और कोरोना काल में उसे ज्यादा नुकसान हुआ है लेकिन आश्चर्य यह है कि सरकार ने कभी स्वीकार नहीं किया कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हर तरफ गिरावट ही देखने को मिल रही है। सरकार के राजस्व के संग्रहण का आंकडा हर क्षेत्र में और लगातार गिर रहा है। आयकर में तो एक लाख करोड़ रुपए का राजस्व घटा है और सरकार इन सब घाटों की भरपाई के लिए तेल आदि पर बेतहाशा उत्पाद शुल्क लगा रही है। उत्पाद शुल्क बढ़ने से महंगाई चरम पर पहुंच रही है इसलिए सरकार को उत्पाद शुल्क की बढ़ी दरें तत्काल वापस लेनी चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि देश में सार्वजनिक उपक्रमों से डेढ़ लाख करोड रुपए का राजस्व आता है लेकिन सरकार जिस गति से इन उपक्रमों का निजीकरण कर रही है तो उससे देश को सीधे डेढ लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। उनका कहना था कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सरकार को इन संस्थानों से मिलने वाले राजस्व की भरपाई के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए बजट में पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है। रोजगार को बढ़ाने और महंगाई कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। पूंजी व्यय लगातार बढ़ रहा है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिल रही है। सरकार डाटा का भी खुलासा नहीं कर रही है और जो कुछ सूचनाएं सरकार की तरफ से सीएमआई के जरिए सामने आ रही है उसमें कहा गया है कि कोरोना के कारण दाे करोड नौकरियों का नुकसान हुआ है लेकिन सरकार इस बारे में कुछ भी नहीं बता रही है।