लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बढ़ती जनसंख्या को विकास में बाधक बताते हुये कहा कि नयी जनसंख्या नीति का उद्देश्य आम नागरिकों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का है।
विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर रविवार को नई जनसंख्या नीति को जारी करने के अवसर पर उन्होने कहा कि किसी भी देश अथवा राज्य में जनसंख्या में बढ़ोत्तरी गरीबी का मुख्य कारक हो सकता है। इससे विकास की संभावनाये क्षीण होती है। जनसंख्या नियंत्रण पर पिछले चार दशकों के दौरान कई बार विचार विमर्श हुआ और इस अवधि में जिस भी राज्य अथवा देश ने जनसंख्या वृद्धि पर लगाम कसी,वहां इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।
उन्होने कहा कि समाज के विभिन्न तबकों को ध्यान में रखकर उनकी सरकार नई जनसंख्या नीति को लागू करने का काम कर रही है। राज्य विधि आयोग ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है जिस पर जनता के सुझाव मांगे गये है। जनता से मिले सुझाव के आधार पर सरकार जनसंख्या नीति को अंतिम रूप देगी।
श्री योगी ने कहा कि बढ़ती आबादी के दुष्प्रभाव को लेकर सरकार आम लोगों को जागरूक करेगी। इस सिलसिले में विभिन्न स्तरों पर जागरूकता अभियान चलाये जायेंगे जिसमें विभिन्न विभागों का सहयोग लिया जायेगा। नयी जनसंख्या नीति को लागू करने के समय यह ध्यान रखा जायेगा कि इसे देश का जनसांख्यिकीय संतुलन न प्रभावित हो।
इस मौके पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि यदि प्रदेश की नई जनसंख्या नीति को ठीक से लागू किया गया तो वर्ष 2052 तक उत्तर प्रदेश जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर बढ़ेगा। नई नीति में वर्ष 2026 तक जन्मदर को प्रति हजार आबादी पर 2.1 तक तथा वर्ष 2030 तक 1.9 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा व स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था भी की जाएगी। नई नीति में आबादी स्थिरीकरण के लिए स्कूलों में हेल्थ क्लब बनाये जाने का प्रस्ताव भी शामिल है।