नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को एक भव्य एवं गरिमामय समारोह में नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया और इसे देश की 140 करोड़ जनता की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतीक निरुपित किया।
नये भवन के लोकसभा कक्ष में आयोजित उद्घाटन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित समाज सेवी कैलाश सत्यार्थी, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, दिल्ली के उप-राज्यपाल, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, विभिन्न देशों के आमंत्रित राजनयिक, सांसद और अन्य आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मंच पर प्रधानमंत्री के साथ लोकसभभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उप-सभापति डॉ हरिवंश विराजमान थे।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संदेश पढ़े गये।
लोकसभा अध्यक्ष श्री बिरला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नये भवन में स्वागत किया और उद्घाटन समारोह में डाॅ हरिवंश के सम्मान में स्वागत भाषण दिया।
समारोह में नये संसद भवन का निर्माण कार्य करने वाले टाटा उद्योग समूह के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन को भी आमंत्रित किया गया था।
विपक्षी दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित न किये जाने के विरोध में समारोह का बहिष्कार किया।
नये संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत सुबह हवन-पूजन और सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 64500 वर्गमीटर के निर्मित क्षेत्र वाले नये भवन की पट्टिका का अनावरण कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने नये लोकसभा कक्ष में चोल राजवंश परम्परा के राजदंड सेन्गोल को स्थापित किया। इसे तमिलनाडु के अधीनम मठ के संतों ने प्रधानमंत्री को शनिवार की शाम को सौंपा था। श्री माेदी ने सेन्गोल काे दंडवत प्रणाम किया।
इस भवन के निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के सम्मान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उनके साथ भेंट के लिए एक विशेष आयोजन किया गया।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू और उप-राष्ट्रपति का संदेश डॉ हरिवंश ने पढ़ा। श्रीमती मुर्मू ने अपने संदेश में कामना की कि नया परिसर, “ देशवासियों की सामूहिक आशाओं और आंकक्षाओं से आलौकिक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में अग्रसर करने के लिए हमारे राष्ट्र को ऊर्जा प्रदान करे।”
श्री धनखड़ ने अपने संदेश में कहा, “ भारतीय लोकतंत्र की अभूतपूर्व विकास यात्रा की इस महत्वपूर्ण ऐहितासहिक घड़ी और गौरव क्षण में पूरे देश को हार्दिक बधाई देते हुये मुझे अपार खुशी है। हमारा मौजूदा संसद भवन आजादी मिलने से आज दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में भारत की पहचान बनने तक की ऐहितिहासिक यात्रा का गवाह है। ”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये संसद भवन को 140 करोड़ भारतीयोंं की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब बताया और कहा कि इसमें देश की समृद्ध विरासत, कला, गौरव, संस्कृति तथा संविधान के स्वर हैं और यह नये भारत के सृजन का आधार बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में सभी देशवासियों का संकल्प ही इस नयी संसद की प्राण प्रतिष्ठा है। इसमें होने वाला हर निर्णय आने वाली पीढियों को सशक्त करने वाला होगा और यही निर्णय भारत के उज्जवल भविष्य का आधार बनेंगे। उन्होंने कहा, “ ये सिर्फ एक भवन नहीं है। ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। ये विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। ”
उन्होंने कहा कि यह नया संसद भवन लोकतंत्र को नयी ऊर्जा और नयी मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने कहा,“ हमारे श्रमिकों ने अपने पसीने से इस संसद भवन को इतना भव्य बना दिया है अब हम सांसदों का दायित्व है कि इसे अपने समर्पण से ज्यादा भव्य बनायें। ”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ इस भवन में विराससत भी है, वास्तु भी है, इसमें कला भी है, कौशल भी है, इसमें संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं। हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि, हमारी ये संसद ही है। ”
उन्होंने कहा कि देश के पास अमृत कालखंड के 25 वर्ष का समय है और सबको मिलकर इनमें देश को विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा, “ 21 वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ है जो अब गुलामी की सोच को पीछे छोड़ कर प्राचीन काल की उस गौरवशाली धारा को एक बार फिर अपनी तरफ मोड़ रहा है। ”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इस समय आजादी का अमृतकाल चल रहा है, देश को नयी दिशा देने का यह अमृत काल है। यह काल अनंत सपनों को असंख्य आकाक्षांओं काे पूरा करने का अमृतकाल है। उन्होंने इस अमृतकाल का आह्वान इन पंक्तियों के साथ किया …
मुक्त मातृ भूमि को नवीन मन चाहिए।
नवीन पर्व के लिए नवीन प्राण चाहिए।
मुक्त गीत हो रहा नवीन राग चाहिए।
नवीन पर्व के लिए नवीन प्राण चाहिए।।
उन्होंने संसद भवन की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, “ संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था। यह हम सभी जानते हैं। प्रौद्योगिकी से जुड़ी समस्यायें थीं, बैठने की जगह से जुड़ी चुनौती थी। इसीलिए बीते डेढ़ दो दशकों से यह चर्चा लगातार हो रही थी कि देश काे एक नये संसद भवन की आवश्यकता है। ”
श्री मोदी ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि आने वाले समय में संसद में सीटों की संख्या बढ़ेगी तो सांसद वहां कैसे बैठेंगे।
उन्होंने कहा कि इस भवन के निर्माण में 60 हजार श्रमिकों काे रोजगार मिला। यह खुशी की बात है कि नये भवन में श्रमिकों को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी बनायी गयी है जो संभवत: दुनिया में अनूठी है और इस भवन के निर्माण में श्रमिकों का योगदान अमर हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि संसद का यह नया भवन, नये भारत के सृजन का आधार बनेगा जो एक अधिक समृद्ध, सशक्त और विकसित भारत होगा तथा जो नीति, न्याय, सत्य, मर्यादा और कर्तव्य पथ पर और अधिक सशक्त होकर चलने वाला भारत होगा।
उन्होंने देशवासियों को नये संसद भवन की बधाई देते हुए कहा कि यहां से बनने वाले कानून देश के युवाओं के लिए, महिलाओं के लिए नये अवसरों का निर्माण करेंगे और भारत को गरीबी से बाहर निकाल कर 25 साल में भारत को विकसित राष्ट्र बनने में योगदान देंगे।
उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदी में ट्वीट कर कहा, “ संसद लोगों की आवाज है, प्रधानमंत्री संसद भवन के उद्घाटन राज्याभिषेक समझ रहे हैं। ”