नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालम्पियनों के साथ मंगलवार को बातचीत में कहा कि आप इस मुकाम तक पहुँचे हैं क्योंकि आप असली चैम्पियन हैं। जिंदगी के खेल में आपने संकटों को हराया है। जिंदगी के खेल में आप जीत चुके हैं, चैम्पियन हैं। एक खिलाड़ी के रूप में आपके लिए आपकी जीत, आपका मेडल बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं बार बार कहता हूँ कि नई सोच का भारत आज अपने खिलाड़ियों पर मेडल का दबाव नहीं बनाता।
श्री मोदी ने भारत के पैरालम्पिक खिलाड़ियों के साथ बातचीत में कहा कि ऐसे कितने ही युवा हैं जिनके भीतर कितने ही मेडल लाने की योग्यता है। आज देश उन तक खुद पहुँचने की कोशिश कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आज देश के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में 360 ‘खेलो इंडिया सेंटर्स’ बनाए गए हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर ही प्रतिभाओं की पहचान हो, उन्हें मौका मिले। आने वाले दिनों में इन सेंटर्स की संख्या बढ़ाकर एक हजार तक की जाएगी। इसी तरह, हमारे खिलाड़ियों के सामने एक और चुनौती संसाधनों की भी होती थी। आप खेलने जाते थे तो अच्छे ग्राउंड, अच्छे उपकरण नहीं होते थे। इसका भी असर खिलाड़ी के मनोबल पर पड़ता था। वो खुद को दूसरे देशों के खिलाड़ियों से कमतर समझने लग जाता था। लेकिन आज देश में स्पोर्ट्स से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर का भी विस्तार किया जा रहा है। देश खुले मन से अपने हर एक खिलाड़ी की पूरी मदद कर रहा है। ‘टार्गेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम’ के जरिए भी देश ने खिलाड़ियों को जरूरी व्यवस्थाएं दीं, लक्ष्य निर्धारित किए। उसका परिणाम आज हमारे सामने है।
प्रधानमंत्री ने कहा ,”खेलों में अगर देश को शीर्ष तक पहुँचना है तो हमें उस पुराने डर को मन से निकालना होगा जो पुरानी पीढ़ी के मन में बैठ गया था। किसी बच्चे का अगर खेल में ज्यादा मन लगता तो घर वालों को चिंता हो जाती थी कि ये आगे क्या करेगा? क्योंकि एक-दो खेलों को छोड़कर खेल हमारे लिए सफलता या करियर का पैमाना ही नहीं रह गए थे। इस मानसिकता को, असुरक्षा की भावना को तोड़ना हमारे लिए बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा ,”भारत में स्पोर्ट्स कल्चर को विकसित करने के लिए हमें अपने तौर-तरीकों को लगातार सुधारते रहना होगा। आज अंतर्राष्ट्रीय खेलों के साथ साथ पारंपरिक भारतीय खेलों को भी नई पहचान दी जा रही है। युवाओं को अवसर देने के लिए, प्रोफेशनल वातावरण देने के लिए मणिपुर के इम्फ़ाल में देश की पहली स्पोर्ट यूनिवर्सिटी भी खोली गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी पढ़ाई के साथ साथ खेलों को बराबर प्राथमिकता दी गई है। आज देश खुद आगे आकर ‘खेलो इंडिया’ अभियान चला रहा है।
श्री मोदी ने कहा,”आपका आत्मबल, कुछ हासिल करके दिखाने की आपकी इच्छा शक्ति मैं देख रहा हूं असीम है। आप सभी के परिश्रम का ही परिणाम है कि आज पैरालम्पिक्स में सबसे बड़ी संख्या में भारत के एथलीट जा रहे हैं। आप लोग बता रहे थे कि कोरोना महामारी ने भी आपकी मुश्किलों को जरूर बढ़ाया, लेकिन आपने कभी भी इस क्रम को टूटने नहीं दिया। आपने उसको भी काबू करने के लिए जो भी आवश्यकता हो उसको भी कर लिया है। आपने अपना मनोबल कम नहीं होने दिया, अपनी प्रैक्टिस को रुकने नहीं दिया। और यही तो सच्ची ‘स्पोर्ट्समैन स्पिरिट’ है हर हालात में वो यही हमें सिखाती है कि और आप सबने करके दिखाया भी । सबने करके दिखाया।
श्री मोदी ने कहा ,”साथियों,आप इस मुकाम तक पहुँचे हैं क्योंकि आप असली चैम्पियन हैं। जिंदगी के खेल में आपने संकटों को हराया है। जिंदगी के खेल में आप जीत चुके हैं, चैम्पियन हैं। एक खिलाड़ी के रूप में आपके लिए आपकी जीत, आपका मेडल बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं बार बार कहता हूँ कि नई सोच का भारत आज अपने खिलाड़ियों पर मेडल का दबाव नहीं बनाता। आपको बस अपना शत-प्रतिशत देना है, पूरी लगन के साथ,कोई भी मानसिक बोझ के बिना, सामने कितना मजबूत खिलाड़ी है इसकी चिंता किए बिना बस हमेशा याद रखिए और इसी विश्वास के साथ मैदान पर अपनी मेहनत करनी है। मैं जब नया-नया प्रधानमंत्री बना तो दुनिया के लोगों से मिलता था। अब वो तो ऊँचाई में भी हमसे ज्यादा होते हैं। उन देशों को रूतबा भी बड़ा होता है। मेरा भी बैकग्राउंड आपके जैसा ही था और देश में भी लोग शंका करते थे कि ये मोदी को दुनिया का तो कुछ पता नहीं हैं ये प्रधानमंत्री बन गये क्या करेंगा। लेकिन मैं जब दुनिया के लीडरों से हाथ मिलाता था। तो मैं कभी यह नहीं सोचता था कि नरेन्द्र मोदी हाथ मिला रहा है। मैं यही सोचता था कि 100 करोड़ से भी बड़ी आबादी वाला देश हाथ मिला रहा है। मेरे पीछे 100 करोड़ से ज्यादा देशवासी खड़े हैं। ये भाव रहता था और उसके कारण मुझे कभी भी मेरे कान्फिडेंस को समस्या नहीं आती थी। मैं देख रहा हूं आपके अंदर तो जिंदगी को जीतने का कान्फिडेंस भी है और गेम जीतना तो आपके लिए बाएं हाथ का खेल होता है। मेडल तो मेहनत से अपने आप आने ही वाले हैं। आपने देखा ही है, ओलम्पिक्स में हमारे कुछ खिलाड़ी जीते, तो कुछ चूके भी। लेकिन देश सबके साथ मजबूती से खड़ा था, सबके लिए चीयर कर रहा था।