नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) देश की अर्थव्यवस्था में मजबूत स्तंभ हैं। प्रधानमंत्री ने साथ ही देशभर में मौजूद लेखाकारों से वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रौद्योगिकी नवाचार अपनाने का अनुरोध भी किया।
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इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आप (सीए) देश के आर्थिक स्वास्थ्य का खयाल रखते हैं और आपको आपके ज्ञान और वित्तीय कौशल के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। आप (सीए) भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा स्तंभ हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बहुत अच्छा संयोग है कि एक जुलाई आईसीएआई का स्थापना दिवस है और इसी दिन देशभर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को भी लागू किया गया है। प्रधानमंत्री ने समारोह के दौरान एक नए सीए पाठ्यक्रम की भी शुरुआत की। उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि यह नया पाठ्यक्रम इस पेशे को अपनाने वाले लोगों के वित्तीय कौशल को बढ़ाएगा। हमें अपने संस्थानों में एक गतिशील प्रणाली विकसित करने की जरूरत है और वैश्विक मानदंडों एवं जरूरतों के हिसाब से मानव संसाधन विकसित करने की भी जरूरत है।
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मोदी ने कहा, हम इस बात पर गौर करेंगे कि सीए के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को कैसे लाया जा सकता है। अगर सीए कंपनियां प्रौद्योगिकी नवाचार और नए-नए सॉफ्टवेयर के बारे में विचार करेंगी तो इससे आपके सामने नया बाजार खुलेगा। नरेंद्र मोदी ने चाटर्ड अकाउंटेंट्स से कहा कि वे बही को सही करने वाले हैं, ऐसे में उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है। अगर उन्होंने किसी को बचाया या गलत सलाह दी तो समस्याएं बढ़ेंगी।
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प्रधानमंत्री ने इस बात पर गहरी नाराजगी जाहिर की कि 11 साल में केवल 25 सीए के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है जबकि देश में 1400 मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा, ‘देश के सवा सौ करोड़ लोग आप पर भरोसा करते हैं। आप लोगों को तय करना है कि कर चोरी करने के रास्ते बताने हैं या सही कर चुकाने के? जब तथ्यों को छुपाया जाता है तो कंपनी ही नहीं डूबती है गरीब व बुजुर्ग भी डूबता है।’
प्रधानमंत्री ने आय छिपाने वालों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले साल 2.18 करोड़ लोग विदेश यात्रा पर गए, लेकिन देश में 32 लाख लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी वार्षिक आय दस लाख से ज्यादा बताई है। मोदी ने आगे कहा, ‘वेतनभोगियों के आलावा बाकी जगह क्या हो रहा है इस पर किसकी नजर होनी चाहिए, यह भी आपको देखना है। बैंकों में जमा पैसों की लगातार डाटा मॉनिटरिंग की जा रही है। तीन लाख से ज्यादा कंपनिया शक के घेरे में हैं।’