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नागचंद्रेश्वर मंदिर में लाइव दर्शन का सिलसिला जारी

उज्जैन,मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के वर्ष में एक बार केवल 24 घंटे के लिए मंदिर के पट खुलने के बाद आम दर्शनार्थियों के लिए लाइव दर्शन का सिलसिला जारी है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी सामान्य दर्शनार्थियों के लिए मंदिर में दर्शन की व्यवस्था पर प्रतिबंध है।

मंदिर सूत्रों ने बताया कि नागपंचमी के अवसर पर भगवान नागचंद्रेश्वर के पट खुलने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक द्वारा पूजन करने के बाद लाइव दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट कल मध्य रात्रि को खोल दिए गए। इस बार भी सामान्य दर्शनार्थियों को केवल ऑनलाइन दर्शन हो रहे हैं, लेकिन भगवान महाकालेश्वर के दर्शन प्री बुकिंग से कराए जा रहे हैं।

दूर-दूर से लोग प्री बुकिंग कराकर भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं और सामान्य दर्शनार्थियों को भीड़भाड़ का सामना नहीं करना पड़ रहा है। मात्र 10 मिनट में दर्शन करके घर जा रहे हैं। भगवान महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभक्त है। मंदिर के सबसे नीचे खंड में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओमकारेश्वर तथा तीसरे खंड पर भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। शीर्ष पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलते है।

मंदिर में 11 वीं शताब्दीं की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे है। साथ में शिव पार्वती के दोनों वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर श्री कार्तिकेय की मूर्ति और ऊपर की ओर सूर्य-चन्द्रमां भी अंकित है। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदहारण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए है। कहते हैं, कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

मंदिर सूत्रों ने बताया कि नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट खुलने के बाद कल मध्य रात्रि को त्रिकाल पूजा की गई और आज अपरान्ह्: 12 बजे अखाडे द्वारा पूजन हुआ। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की पूजन आरती मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा की जायेगी और मंदिर के पट आज रात्रि 12 बजे बंद होंगे।