हैदराबाद, नेहरू-गांधी परिवार के शासनकाल के दौरान मौलाना आजाद को भारत रत्न नहीं दिए जाने पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज आरोप लगाया कि प्रथम प्रधानमंत्री की जिन नेताओं ने आलोचना की उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस. जयपाल रेड्डी पर प्रहार करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू के बीच मतभेद के बारे में भी लोग जानते हैं और 1948 में पुलिस कार्रवाई के बारे में दोनों के बीच मतभेद के बारे में भी सब लोग जानते हैं जिसके बाद हैदराबाद को भारतीय संघ में मिलाया गया था। उस दौरान हैदराबाद पर निजाम का शासन था। प्रसाद ने बताया, उन्होंने (जयपाल रेड्डी) कहा है कि कोई मतभेद नहीं थे (नेहरू और पटेल के बीच) और 10 वर्षों तक उनका साथ रहा। जयपाल रेड्डी कह रहे थे कि कानून मंत्री प्रसाद गैर कानूनी बात बोल रहे हैं। मैं गैर कानूनी नहीं बोल रहा था। मैं वास्तविकता बयां कर रहा था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने पूछा कि भारत को एक करने वाले महान भारतीय पटेल को 1991 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान क्यों दिया गया जबकि 1950 में उनका निधन हो गया था। उन्होंने कहा, जवाहर लाल नेहरू उसके बाद (1950 के बाद) 14 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे और फिर उनकी बेटी इंदिरा गांधी 16 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहीं। फिर कई लोगों को अच्छे कारणों से भारत रत्न दिया गया लेकिन इस महान भारतीय सरदार पटेल की उपेक्षा क्यों की गई? जब पी वी नरसिम्हा राव (नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति) 1991 में प्रधानमंत्री बने तो उन्हें भारत रत्न दिया गया। प्रसाद ने पूछा कि क्यों मौलाना आजाद को 1992 में भारत रत्न दिया गया जबकि उनका निधन 1958 में हुआ था। प्रसाद ने कहा, काफी समय तक शासन करने वाले परिवार (नेहरू गांधी) का व्यवहार दर्शाता है कि जो लोग जवाहरलाल नेहरू के आलोचक रहे उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। मंत्री ने कहा, मेरा स्पष्ट विचार है कि कांग्रेस के शासन काल के दौरान सरदार पटेल की महान विरासत की उपेक्षा जानबूझकर की गई। इस बारे में इतिहास गवाह है। रेड्डी ने कल कहा था कि भाजपा सरदार वल्लभभाई पटेल का इस्तेमाल जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधने में कर रही है और लौह पुरूष से वास्तव में इसका कोई लगाव नहीं है। हाल के समय में नेहरू पर भाजपा नेताओं की टिप्पणी के जवाब में रेड्डी ने कहा कि नेहरू और पटेल स्वतंत्रता संघर्ष में साथ..साथ थे और किसी मुद्दे पर उनमें मतभेद नहीं थे।