नई दिल्ली, नोटबंदी को लागू हुए 40 दिन हो गए हैं, लेकिन अब भी बैंकों में कैश के लिए लगी लंबी कतारें कम नहीं हो रही हैं। पिछले दिनों तीन दिन लगातार अवकाश होने से समस्या और भी बढ़ गई है। नोटबंदी के बाद से ही बैंकों में कैश की किल्लत बनी हुई है। बीते शनिवार से लेकर सोमवार तक बैंक बंद रहे थे। ऐसे में देशभर में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। भारतीय स्टेट बैंक से राशि निकालने पहुंचे लोगों की लंबी कतार में महिलाओं की बड़ी संख्या देखी गई। बैक आॅफ इंडिया में भी भीड़ जुटी रही। बैंक में अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों ने बताया कि नोटबंदी के बाद से ही बैंक से जमा राशि निकालने के लिए घंटों लाइन में खड़े होना पड़ रहा है। भले ही सरकार ने 24 हजार रुपये तक निकालने का नियम बनाया है, लेकिन कई बैंक कम नकदी होने की वजह से सरकार द्वारा तय सीमा से काफी कम रकम ग्राहकों को थमा रहे हैं।
अब बचा हुआ पैसा कहां जा रहा है, इसके पीछे भी कई वजहें सामने आई हैं। उनमें से एक खास वजह ये भी रही कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस पैसे को बैंकों के पिछले दरवाजे से काले से सफेद किया जा रहा है। नोटबंदी के बाद से ही बैंकों में कतारें लगी हुई हैं, जो कम होने का नाम नहीं ले रहीं। कई बार तो लोग लंबी लाइन देखकर ही वापस लौट रहे हैं। लोग अपने वेतन का पैसा पाने के लिए अब भी घंटों इंतजार करने को मजबूर हैं। एटीएम बंद होने से परेशान है लोग: एटीएम बंद होने से बड़ी समस्या-बैंकों के अधिकतर ग्राहक एटीएम के जल्द खाली हो जाने की वजह से परेशान नजर आए। इसके अलावा अभी कई एटीएम ने काम करना शुरू नहीं किया हैं। एटीएम बंद हो जाना लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है। कतारों का आलम यह है कि बैंकों के आगे सड़क पर भी लोगों की लंबी कतार लगी है और लोगों को नकदी लेने में औसतन दो से तीन घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।
नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर छोटे दुकानदारों पर पड़ा है। लोगों के पास कैश की समस्या होने से दुकानों पर खरीददारी मंदी हो गई है। थोड़ी राहत भी है: ऐसा नहीं है कि देश में हर जगह ही ऐसी समस्या रही हो, कहीं-कहीं हालात बेहतर भी हैं। लोगों को एटीएम से भी पैसा मिल रहा है और बैंकों से भी धीरे-धीरे 500 के नोट आने लगे हैं, तो ऐसे में लोगों को राहत भी मिल रही है। शुरुआत में सिर्फ 2000 का नोट निकलता था और इसकी वजह से लोगों को छुट्टा कराने में बहुत परेशानी हो रही थी, लेकिन अब हालात वैसे नहीं रहे हैं।