लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित भव्य समारोह को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मेरे विचार से आजादी के इतने सालों बाद शायद यह समय आ गया है कि शासन और प्रशासन के साथ-साथ न्याय की भाषा भी जनता की भाषा हो, ताकि सत्ता और जनता की बीच की दूरी कम हो सके। उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों की इन्साफ दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने न्यायपालिका की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का कार्य लगातार किया गया है। यही कारण है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में न्याय विभाग का बजट 1700 करोड़ रुपये से साल दर साल बढ़कर 3100 करोड़ रुपये हो गया है। श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सालों पहले प्रदेश के लगभग सभी जनपदों और तहसीलों में अधिवक्ताओं और वादकारियों की सुविधा के लिए अधिवक्ता चैम्बर्स के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैय्या करायी थी। अधिवक्ता बन्धुओं के कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों के लिए प्रदेश सरकार ने 200 करोड़ रुपये का कॉर्पस फण्ड बनाने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं, नौजवान अधिवक्ताओं को वित्तीय मदद देने के लिए 10 करोड़ रुपये का एक अलग कॉर्पस फण्ड भी गठित किया जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवशाली इतिहास की गौरव गाथा का वर्णन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल यह देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है, बल्कि यहां के विद्वान न्यायाधीशों ने समय-समय पर ऐसे ऐतिहासिक फैसले दिये, जो न्याय और संविधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए हैं। इन फैसलों ने देश की दिशा और दशा, दोनों को बदलने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सभी अंगों यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के काम करने का उद्देश्य एक ही है और वह है जनहित, यानी आम जनता के हितों की रक्षा।
अखिलेश यादव ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस महान अनुष्ठान में सम्मिलित होकर और सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें अपार हर्ष हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इलाहाबाद शहर का अपना एक प्राचीन और गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारद्वाज मुनि के समय से संगम तट पर माघ मेलों और कुम्भ मेलों में देश-विदेश से लाखों लोग अपनी आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों को लेकर इलाहाबाद आते रहे हैं और संगम की इस नगरी से आशीर्वाद लेते रहे हैं। यह परम्परा आज भी यथावत जारी है। उन्होंने कहा कि कन्नौज के राजा हर्षवर्धन भी यहां आए और चीन से विद्वान ह्वेनसांग भी यहां आये। यहीं महान सम्राट अकबर ने संगम तट पर ऐतिहासिक किला बनाया तो चन्द्रशेखर आजाद ने जंगे आजादी में यहीं अपने प्राणों की आहूति दी।