देश में 24 घंटे के अंदर दो अलग अलग जगहों पर पत्रकारों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. बिहार के सीवान में एक हिन्दी दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की रेलवे स्टेशन के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई.वहीं दूसरी ओर, झारखंड के चतरा जिले के देवरिया में पत्रकार अखिलेश प्रताप सिंह को अज्ञात लोगों ने मौत के घाट उतार दिया.वहीं दोनों घटनाओं पर अलग अलग तरह की राजनीति भी हो रही है.बिहार में सत्ताधारी जेडीयू ने विरोधी पार्टी से पूछा है कि अगर यहां जंगलराज है तो वहां क्या है.
हिन्दी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ के ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन को हत्यारों ने सिर और गर्दन में 5 गोलियां मारी.सीवान में शुक्रवार को इस वारदात को अंजाम दिया गया. इससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. राजदेव रंजन 24 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे थे. कहा जा रहा है कि उनके हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे थे जिससे बदौलत वो कोई बड़ा खुलासा करने वाले थे. वहीं चतरा में हुई अखिलेश की हत्या गुरुवार को हुई. गांव के पंचायत सचिवालय के निकट उन पर हमला किया गया.
अखिलेश प्रताप सिंह उर्फ इन्द्रदेव यादव की हत्यारों को शीघ्र ही गिरफ्तार करने का दावा एसपी अंजनी कुमार झा ने किया है. इस मामले में पुलिस ने संदिग्ध दो लोगों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ कर रही है. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने ये कार्रवाही की है. चतरा जिला मुख्यालय स्थित देवरिया पंचायत सचिवालय के सामने गुरुवार रात साढे आठ बजे के आसपास अज्ञात अपराधियों ने इंद्रदेव यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी. चतरा पुलिस ने त्वरित कारवायी करते हुए हत्या के मामले की तहकीकात के लिये तीन टीम बनाई है. सीसीटीवी के फुटेज के खंगाले जा रहा हैं तो मोबाईल फोन का पूरा विवरण इकट्ठा किया जा रहा है. इसके अलावे पुलिस मृतक के पैतृक गांव में भी छानबीन कर रही है.
राजदेव रंजन की हत्या के मामले में पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है. साथियों की हत्या से स्तब्ध साथी पत्रकारों ने जमकर इसका विरोध किया. अखिलेश की हत्या के विरोध में जहां शुक्रवार को चतरा नगर बंद रहा. वहीं रांची में अलबर्ट एक्का चौक पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों ने काला बिल्ला लगाकर मार्च निकाला. पत्रकारों ने राज्य सरकार और प्रशासन से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. उनका कहना है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.