नई दिल्ली, आॅल इंडिया स्माॅल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स फैडरेशन के राष्ट्रीय सचिव अशोक कुमार ‘नवरत्न’ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पत्रकारों को पेंशन एवं बीमा की सुविधा दिये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में भूमिका निभाते हुये अनेक पत्रकार शहीद हो चुके है लेकिन इसके बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिये कोई भी समुचित कानून नहीं बनाया गया है।
अशोक कुमार नवरत्न ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि भारत सरकार की द्वेषपूर्ण नीतियों के चलते देश भर में छोटे एवं मझौले समाचार पत्र आर्थिक संकट से जूझ रहे है,तमाम समाचार पत्र बंद हो चुके हैं साथ ही बंदी के कगार पर हैं ऐसे में अगर भारत सरकार ने उनके आर्थिक पुर्नवास के बारे में शीघ्र ही कोई कारगर निर्णय नहीं लिया तो देश भर में हजारों समाचार पत्रों में कार्यरत बड़ी संख्या में पत्रकारों एवं कर्मियों के परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जायेंगे। समाचार पत्र संगठनों के बार-बार अनुरोध के बाद भी केन्द्र सरकार ने अपनी नीतियांें में परिवर्तन नहीं किया है और बड़े मीडिया घरानों के इशारे पर छोटे एवं मझौले समाचार पत्रों को बंद कराने की कोशिश में लगी है ऐसे में हजारों पत्रकारों एवं समाचार पत्र कर्मियों को सरकार पेंशन एवं आर्थिक मदद दे,क्योंकि किसी भी लोकप्रिय सरकार को यह दायित्व भी है कि समाज का कोई भी वर्ग भुखमरी की हालत में न रहे।
अशोक कुमार नवरत्न ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वो किसानों की तरह समाचार पत्रांें को भी बड़े-बड़े प्रैस लगाने के लिये ब्याजमुक्त ऋण दे ताकि वो भी सरकार की मंशा के अनुरूप समाचार पत्रों का प्रकाशन कर देश की प्रगति में भागीदार बन सकें। भारतीय प्रेस परिषद् के स्थान पर भारतीय मीडिया परिषद् का गठन किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि प्रेस परिषद के दायरे में अभी तक केवल पिं्रट मीडिया आता है। जिससे कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया पुर्नगठित भारतीय मीडिया परिषद् के दायरे में आ सकें। प्रस्तावित मीडिया परिषद में सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाये। साथ ही मीडिया परिषद् को न्यायिक अधिकार दिये जावें। उन्होंने मांग की कि चिकित्सकों का पंजीकरण भारतीय चिकित्सा परिषद् तथा अधिवक्ताओं का पंजीकरण बार कौंसिल करती है। उसी प्रकार पत्रकारों का भी पंजीकरण करने का अधिकार भारतीय प्रेस परिषद को दिया जावें। इससे पीत पत्रकारिता करने वालों पर अंकुश लगेगा। साथ ही पत्रकारों के लिए एक आचार संहिता बनाने का काम भी भारतीय पे्रस परिषद को दिया जाये। उन्होंने मांग की कि भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक को केवल शीर्षक देने का अधिकार हो। पंजीकरण करने का अधिकार भारतीय पे्रस परिषद को दिया जाये। पंजीकरण का शुल्क भी निर्धारित किया जाये। जिससे प्रेस परिषद् की आय हो सकें। भारतीय पे्रस परिषद की वर्तमान लेवी फीस समाप्त की जाये। भारत में अब लेवी प्रथा समाप्त हो चुकी है। तब यह व्यवस्था पे्रस परिषद में क्यों चल रही है?
अशोक नवरत्न ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि भारत सरकार (डीएवीपी) की विज्ञापन नीति 2016 को स्थगित किया जाये क्योंकि इस द्वेषपूर्ण नीति के कारण देश भर में छोटे एवं मझौले समाचार पत्र बंदी के कगार पर पहुंच गये है वहीं कारपोरेट मीडिया घराने छोटे एवं मझौले समाचार पत्रों के हितों पर कुठाराघात कर फलफूल रहे है। नई विज्ञापन नीति को सभी समाचार पत्र संगठनों की सलाह मशविरा से बनायी जाये। सरकार अपनी ओर से विज्ञापन नीति बनाकर सभी समाचार-पत्र संगठनों को भेजें और एक निश्चित अवधि तक विज्ञापन नीति पर सुझाव/आपत्ति लेकर नई विज्ञापन घोषित करें। इस नई विज्ञापन नीति को बनाने के लिए प्रेस परिषद को भेज दें। परिषद द्वारा अनुमोदित विज्ञापन नीति को भी भारत सरकार द्वारा लागू किया जा सकता है। समाचार-पत्रों के पंजीयन के बाद प्रकाशक को फोटोयुक्त परिचय पत्र भी भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक द्वारा जारी किया जाये। जैसा कि बार कौंसिल अपने अधिवक्ताओं को जारी करती है। इस हेतु कोई शुल्क निर्धारित किया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय पत्रकार सुरक्षा अधिनियम बनावें। जिससे कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकें। समाचार-पत्र प्रकाशन को उद्योग की श्रेणी का दर्जा दिया जाये। जिससे कि उद्योगों को मिलने वाली सुविधाऐं भी समाचार पत्रों को मिल सकें। समाचार-पत्रों के लिए समाचार-पत्र वित्त विकास निगम लि. की स्थापना की जाये। आधुनिक मशीनें क्रय करने के लिए रियायती दरों पर ऋण दिया जावें। पत्रकारों एवं समाचार पत्रों की समस्याओं एवं समाधान के लिए तत्काल ही प्रेस आयोग का गठन किया जाये। जिसमें सभी समाचार पत्रों व पत्रकार संगठनों को प्रतिनिधित्व दिया जाये। समाचार-पत्रों को न्यूज पिं्रट खरीदने के लिए सरकारी स्तर पर कागज की दर निर्धारित की जायें। देश भर में अखबारी कागज को कर मुक्त रखा जाये। देश की किसी भी मिल से अखबारी कागज खरीदने को कर मुक्त घोषित किया जाये।