नयी दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय के अनुसार इसके मद्देनजर कूनो नेशनल पार्क में युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही हैं। इसी क्रम में रविवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने कूनो नेशनल पार्क में चल रही तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने उस बाड़े को भी देखा जहां पर नामीबिया से आये चीतों को 30 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जाएगा। उन्होंने अधिकारियों से तैयारियों के संबंध में जानकारी ली और इस बारे में समुचित दिशा निर्देश भी दिए।
भूपेंद्र सिंह यादव के साथ केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कूनो नेशनल पार्क में तैयारियों का जायजा लिया।
भूपेंद्र सिंह यादव ने वहां काम करने वाले कर्मचारियों, चीता मित्र, भारतीय वन्यजीव संस्थान के युवा वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों के साथ बातचीत भी की। उन्होंने कहा कि चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक कदम है। इससे पर्यावरण संतुलन को कायम रखने में आसानी तो होगी ही साथ ही स्थानीय लोगों में खुशहाली का संचार होगा। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क के बीच से बहने वाली कूनो नदी इसे न केवल और भी अधिक खूबसूरत बना देती है, बल्कि इसके सपाट और चौड़े तटों पर खिली हुई धूप में अठखेलियां करते मगरमच्छ यहां आने वाले लोगों को रोमांचित कर देते है। कूनो नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियां है जिनमें से 12 प्रजातियां तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान ने देश में चीता के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के पर्यावास के लिए उपयुक्त जगह है।