नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सौर ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में सौर बिजली का हिस्सा बढ़ाने पर जोर दिया है. आज यहां अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ के संस्थापन सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए रियायती और कम जोखिम वाला कर्ज उपलब्ध कराने का आह्वान करते हुए देश में 2022 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन को 175 गीगावॉट तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने दस सूत्रीय र्कारवाई योजना पेश की. इस कार्रवाई योजना में सभी राष्ट्रों को सस्ती सौर प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना, ऊर्जा मिश्रण में फोटोवोल्टिक सेल से उत्पादित बिजली का हिस्सा बढ़ाना, नियमन और मानदंड बनाना, बैंक ऋण योग्य सौर परियोजनाओं के लिए सलाह देना और विशिष्टता केंद्रों का नेटवर्क बनाना शामिल है.
आईएसए के 2030 तक 1,000 गीगावॉट के सौर बिजली उत्पादन तथा 1,000 अरब डॉलर का निवेश जुटाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र को रियायती कर्ज उपलब्ध कराने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को कम जोखिम वाला वित्त उपलब्ध कराया जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावॉट बिजली का उत्पादन करेगा जिसमें से 100 गीगावॉट सौर बिजली के रूप में होगा. उन्होंने कहा कि आईएसए सचिवालय को मजबूत तथा पेशेवर बनाया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा एक स्थायी, सस्ता और भरोसेमंद स्रोत है.
आईएसए के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए मोदी नेकहा कि सदस्य देशों के लिए 500 प्रशिक्षण स्लॉट उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके साथ ही क्षेत्र में शोध एवं विकास को आगे बढ़ाने के लिए सौर प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जाएगा. मोदी ने कहा कि भारत ने पिछले तीन साल के दौरान 28 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं. इससे दो अरब डॉलर की बचत हुई है. साथ ही इससे हम 4 गीगावॉट बिजली भी बचा सके हैं. आईएसए का मुख्यालय गुड़गांव में है. यह संधि आधारित अंतर सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना पेरिस घोषणा के बाद एक ऐसे गठजोड़ के रूप में की गई है जो सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के प्रचार प्रसार के लिए काम करेगा.