लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी धर्मों के बुजुर्ग संतों, पुजारियों, पुरोहितों एवं मौलवियों आदि के कल्याण हेतु पुरोहित कल्याण बोर्ड के प्रस्तावित गठन का काम यथाशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिया है।
योगी ने बुधवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में बुजुर्ग संतों, पुजारियों एवं पुरोहितों के कल्याण हेतु राज्य सरकार द्वारा पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन करने का वादा किया था। इस वादे की पूर्ति के लिये उन्हाेंने पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश देते हुए कहा कि बोर्ड से लाभान्वित होने के योग्य सभी धर्मों के संतों, पुजारियों का सत्यापन एवं चिन्हांकन कर लिया जाए।
उन्होंने कहा कि बोर्ड के माध्यम से सभी धर्मों के पुजारियों, संतों, पुरोहितों, मौलवियों, फ़कीरों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। बोर्ड द्वारा न केवल इनके कल्याणार्थ कार्य किया जाए, वरन, विभिन्न धर्म, सम्प्रदायों की परंपरा का संरक्षण और पुरोहितों का प्रशिक्षण भी कराया जाए। इस दौरान उन्होंने मंदिर सूचना प्रणाली और बोर्ड को भी एकीकृत करने को कहा।
योगी ने बैठक में कहा कि जनआस्था का सम्मान करते हुए राज्य सरकार धार्मिक पर्यटन को प्रोत्सहित कर रही है। उन्होंने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में ‘ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली’ की शुरुआत करने के संकल्प का जिक्र करते हुए कहा कि इस प्रणाली को यथाशीघ्र क्रियान्वित किया जाए। उन्होंने कहा कि ऑनलाईन पोर्टल में हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन आदि धर्म-सम्प्रदायों से जुड़े धर्मस्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध हो। हर जनपद के धर्मस्थल का विवरण इस पर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि धर्म, पंथ, सम्प्रदाय की विशिष्ट परंपरा का भी उल्लेख हो, ताकि अधिकाधिक लोग प्रदेश की विविधतापूर्ण धार्मिक-आध्यत्मिक प्रकृति से परिचित हो सकें। योगी ने निर्देश दिया कि इसी प्रकार, मस्जिदों के बारे में भी संबंधित विभाग द्वारा विशिष्ट पोर्टल का विकास कर दोनों पोर्टल को एकीकृत भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने आपदाकाल में अग्निशमन कार्मिकों के तत्परतापूर्वक दायित्व निर्वहन की सराहना करते हुए कहा कि विगत कई वर्षों से इस महत्वपूर्ण विभाग में निदेशक, उप निदेशक और संयुक्त निदेशक सहित कई अहम पद रिक्त हैं। इन पदों में योग्य अधिकारियों की तैनाती की जाए। इसके लिये उन्होंने विभाग में निदेशक और संयुक्त निदेशक के पद के लिए यथाआवश्यक प्रतिनियुक्ति के माध्यम से दक्ष अधिकारियों की तैनाती कर उप निदेशक और सीएफओ के पद के लिए अर्हकारी सेवा शर्तों का सरलीकरण करने का निर्देश दिया।
योगी ने कहा कि हाल के वर्षों में निजी सुरक्षा सेवाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए निजी सुरक्षा एजेंसियां भी बढ़ रही हैं। प्रदेश में 662 निजी सुरक्षा एजेंसियां पंजीकृत हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि निजी सुरक्षा एजेंसियों के संचालन-प्रबंधन की नियमावली को और सरल किया जाए। इस विषय में केंद्र सरकार द्वारा निजी सुरक्षा एजेंसी विनियमन अधिनियम के आधार पर प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) केंद्रीय मॉडल 2020 को लागू किया गया है। इसे राज्य की जरूरत के अनुसार अंगीकार किया जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा भी की। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से हुई इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री जी सभी जोनल पुलिस महानिरीक्षकों, मंडलायुक्तों, पुलिस आयुक्ताें से श्रावण मास और बकरीद के दृष्टिगत उनकी कार्ययोजना की जानकारी ली।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी की परिकल्पना के अनुसार श्री काशीविश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के उपरांत श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वॄद्धि हुई है। श्रावण मास में पूरे देश से श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है। ऐसे में स्थानीय पुलिस कमिश्नरेट, जिला प्रशासन, मंदिर प्रशासन के साथ समन्वय बनाते हुए व्यवस्थित कार्ययोजना बनाएं। प्रबंधन ऐसा हो कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो। इन विशेष दिवस पर वीआईपी मूवमेंट से परहेज किया जाना चाहिए।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इस बार स्वाधीनता दिवस के आयोजन को गरिमामय रूप से आयोजित करने का निर्देश देते हुए कहा कि स्कूली बच्चों द्वारा थीम आधारित प्रभात फेरी निकाली जाए। ग्राम सचिवालयों और सभी नगरीय निकायों में भी राष्ट्र ध्वज फहराया जाए।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम सेनानियों, शहीदों के परिजनों को सम्मानित करें। जहां अमृत सरोवर बन चुके हैं वहां, स्वाधीनता दिवस समारोह का आयोजन इसी सरोवर के तट पर किया जाना उचित होगा। योगी ने मुख्य सचिव के स्तर पर स्वाधीनता दिवस आयोजन के सम्बंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई में शामिल हुए बहुत से नायकों से आज की पीढ़ी परिचित नहीं है, इनकी पहचान कर बच्चों को इनसे परिचित कराया जाए।