पूर्व भारतीय अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी अशफाक अहमद ने दी नौकरी छोड़ने की चेतावनी

asfaq ahmedश्रीनगर, भारतीय खिलाड़ी देश के लिए खेलकर तिरंगे का मान-सम्मान बढ़ाते हैं। अशफाक अहमद ने भी ऐसा ही किया। अशफाक ने अंतरराष्ट्रीय लेवल पर फुटबॉल खेलकर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई लेकिन अब कश्मीर के इस खिलाड़ी को अपमान झेलना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि ये अपमान करने वाले कोई विदेशी नहीं बल्कि कुछ भारतीय ही हैं।

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी अशफाक अहमद ने राज्य शिक्षा विभाग में मिली नौकरी छोड़ने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि मुझे बच्चों को फुटबॉल के बजाय नाच-गाना सिखाने को कहा जा रहा है। यह अपमान नहीं तो क्या है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के डाउन-टाउन के रहने वाले अशफाक अहमद को राज्य सरकार ने खेल के मैदान पर उल्लेखनीय प्रदर्शन करने के लिए राज्य स्कूल शिक्षा विभाग में एसआरओ-49 के तहत बतौर फिजिकल एजुकेशन टीचर नियुक्त किया है।

उन्हें राजबाग स्थित गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में तैनात किया गया है। 33 साल के अशफाक राज्य में एकमात्र ऐसे फुटबॉलर हैं, जिन्हें वर्ष 2003 में राष्ट्रीय स्तर पर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला है। वह देश के नामी फुटबॉल क्लब मोहन बागान के कप्तान भी रह चुके हैं। अशफाक प्री-ओलंपिक व प्री-वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग फुटबाल प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। पांच बार फेडरेशन कप और दो बार इंडियन फुटबॉल लीग के विजेता रहे अशफाक अहमद ने सात बार एशिया कप भी खेला है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में लड़कियों में फुटबॉल के प्रति क्रेज है। मुझे लगा कि मैं यहां लड़कियों को फुटबॉल सिखाऊंगा, लेकिन स्कूल प्रशासन लड़कियों को नाच-गाना सिखाने को कह रहा है।

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