नई दिल्ली, भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट श्रृंखला के भविष्य को लेकर कयास लगाने से इन्कार कर दिया लेकिन स्पष्ट शब्दों में कहा कि पैसे के बिना खेल नहीं चलाया जा सकता हालांकि लोढ़ा पैनल ने भी स्पष्टीकरण दिया कि उसने बैकों को बीसीसीआई के खाते फ्रीज करने के निर्देश नहीं दिये हैं। ठाकुर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें राज्य संघों को धनराशि जारी करने की अनुमति नहीं दी जा रही जबकि राज्य संघ मैचों का आयेजन करने के लिये धन के लिये उन पर निर्भर हैं। ठाकुर ने कहा, मैं इस पर बात नहीं कर सकता कि श्रृंखला जारी रहेगी या नहीं लेकिन यदि खिलाड़ियों और संघों को भुगतान नहीं किया जाता है तो इससे तब गंभीर स्थिति पैदा होगी जबकि टीम टेस्ट में नंबर एक, टी20 में नंबर दो और वनडे में नंबर तीन है। यह सबसे शक्तिशाली बोर्ड है। हमने आईपीएल जैसे सफल टूर्नामेंट को तैयार किया। हम पैसे के बिना खेल नहीं चला सकते। उन्होंने कहा, बीसीसीआई बाहर से पैसे नहीं लेता चाहे वह केंद्र हो या राज्य सरकार। बैंकों को कहा गया है कि वे भुगतान जारी नहीं करें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की परिस्थिति पैदा हुई। क्या बीसीसीआई ने इतने वर्षों से कुछ नहीं किया। इस सवाल का जवाब दिया जाना चाहिए।
अपनी सिफारिशों को नहीं मानने पर उच्चतम न्यायालय से नियुक्त लोढ़ा पैनल ने बीसीसीआई के प्रति कड़ा रवैया अपनाते हुए उन बैंकों को निर्देश दिये जिनमें बीसीसीआई के खाते हैं कि वे 30 सितंबर को बोर्ड की विशेष आम बैठक में लिये गये वित्तीय फैसलों के संबंध में राज्य संघों को बड़ी धनराशि का भुगतान नहीं करे। लोढ़ा ने हालांकि स्पष्ट किया कि उन्होंने बैंकों को बीसीसीआई के खातों से पैसा निकालने पर रोक लगाने के लिये नहीं कहा। उन्होंने कहा, हमने बीसीसीआई के खातों पर रोक नहीं लगायी है। हमने बीसीसीआई को निर्देश दिये हैं कि वह राज्य संघों को धनराशि का भुगतान न करे। दैनिक कार्य, नित्य व्यय, मैच चलते रहने चाहिए। इसको लेकर बिल्कुल भी कोई रोक नहीं। बीसीसीआई ने हालांकि दलील दी कि राज्य संघ मैचों का आयोजन करने के लिये बोर्ड पर निर्भर हैं और लोढ़ा पैनल के ताजा निर्देशों को देखते हुए वे अपना कामकाज नहीं कर पाएंगे जिससे न्यूजीलैंड के खिलाफ आगामी श्रृंखला के मैचों के लिये उनकी तैयारियां प्रभावित होंगी।
बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, बोर्ड के सदस्य संघ अपने साथ हो रहे इस तरह के व्यवहार से दुखी हैं। वे मैचों का आयोजन के लिये बीसीसीआई से मिलने वाली धनराशि पर निर्भर हैं। अब तक सात राज्य संघों ने घरेलू सत्र के दौरान मैचों की मेजबानी करने में असमर्थता जतायी है जबकि नौ अन्य ने इस मामले में जानकारी चाही है। यदि चीजें इसी तरह से चलती रही तो श्रृंखला रद्द कर दी जा सकती है। लोढ़ा पैनल और बीसीसीआई के बीच चल रही जंग ने कल तब नया मोड़ ले लिया था जब लोढ़ा पैनल ने अपने पत्र में बैकों को बीसीसीआई की तरफ से राज्य संघों को होने वाले भुगतान को रोकने के लिये कहा। पैनल ने बैंकों को लिखे पत्र में कहा, समिति को पता चला है कि बीसीसीआई की 30 सितंबर 2016 को हुई कार्यकारिणी की आपात बैठक में विभिन्न राज्य संघों को बड़ी धनराशि का भुगतान करने के संबंध में कुछ फैसले किये गये। पत्र में कहा गया है, आप यह भी जानते हो कि बीसीसीआई ने उच्चतम न्यायालय के फैसले और साथ ही इस समिति द्वारा तय की गयी पहली समयसीमा का उल्लघंन किया है जिसमें धनराशि के वितरण की नीति 30 सितंबर 2016 तक तैयार करना शामिल है।
पैनल ने कहा, उच्चतम न्यायलय छह अक्तूबर 2016 को स्थिति रिपोर्ट की सुनवाई करेगी, इसलिये आपको 31 अगस्त 2016 के बाद बीसीसीआई द्वारा मंजूर या जारी की गयी किसी भी वित्तीय राशि के वितरण के लिये कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया जाता है। इस निर्देश में किसी भी तरह का उल्लघंन उचित आदेश के लिये उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखा जायेगा। बीसीसीआई इस पूरे मामले में तब बैकफुट पर चला गया जब लोढ़ा समिति ने सर्वोच्च न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट दायर करके 30 सितंबर को एजीएम में उसकी सिफारिशों का उल्लंघन करने के लिये बोर्ड के सभी शीर्ष अधिकारियों को हटाने के लिये कहा। चैंपियन्स ट्राफी का आयोजन एक से 18 जून के बीच होना है जबकि आईपीएल के मई के आखिरी सप्ताह में समाप्त होने की संभावना है। लोढ़ा ने हालांकि आज स्पष्ट किया कि सिफारिशों से भारत की चैंपियन्स ट्राफी की तैयारियां प्रभावित नहीं होंगी क्योंकि कैलेंडर एक साल पहले ही तैयार कर दिया गया था। उन्होंने कहा, यदि चैंपियन्स ट्राफी का कैलेंडर एक साल पहले ही तय कर दिया गया था तो फिर हमारी सिफारिशें उसे प्रभावित नहीं करेंगी।