पोप फ्रांसिस ने मुस्लिम, ईसाई एवं हिंदू शरणार्थियों को एक ही ईश्वर की संतान बताते हुए उनके पैर धोए और उन्हें चूमा। अपने धर्मोपदेश में फ्रांसिस ने कहा कि हमारी संस्कृति और धर्म अलग-अलग हैं, लेकिन हम भाई-भाई हैं और हम शांतिपूर्वक रहना चाहते हैं।
प्रवासियों के पैरों पर पवित्र जल डालने के लिए फ्रांसिस जैसे ही घुटनों के बल झुके कई प्रवासी इसे देखकर रो पड़े। पोप ने उनके पैरों को धोया, उसे साफ किया और फिर उन्हें चूम लिया। वेटिकन ने बताया कि कल इस रस्म में चार महिलाओं और आठ पुरुषों ने हिस्सा लिया। इनमें केंद्र में काम करने वाली एक इतालवी कैथोलिक और तीन एरिट्रीन काप्टिक क्रिश्चन प्रवासी महिलाएं शामिल थीं। पुरुषों में नाइजीरिया से चार कैथोलिक, माली, सीरिया और पाकिस्तान से तीन मुस्लिम और भारत से एक हिंदू शामिल था।यीशू को सूली पर चढ़ाए जाने से पहले पवित्र बृहस्पतिवार को पैर धोने की रस्म अदा की जाती है और इसे सेवा के प्रतीक के तौर पर माना जाता है।
कैसलनुओवो दी पोतार स्थित एक शरणार्थी आश्रम में ईस्टर कर प्रार्थना सभा के दौरान फ्रांसीस ने ब्रसेल्स नरसंहार को युद्ध का संकेत बताते हुए उसकी निंदा की और कहा कि हथियार उद्योगों की कृपा से खून के प्यासों लोगों ने इस नरसंहार को अंजाम दिया। ब्रसेल्स हमलावरों के कृत्य को फ्रांसिस ने इसके विपरित विध्वंस का प्रतीक बताते हुए कहा कि वे (हमलावर) प्रवासियों के मानवतापूर्ण भाईचारे को नष्ट करना चाहते थे।