नयी दिल्ली, वरिष्ठ पत्रकार प्रणय रॉय की अगले साल आने वाली नई किताब चुनावी राजनीति के गहराते सवालों के जवाब देने और आम चुनावों की गुत्थी सुलझाने के मकसद से लिखी गई है। इस किताब का नाम अब तक तय नहीं हुआ है। यह किताब चुनाव विश्लेषण, वास्तविक शोध और अब तक अंधेरे में रहे तथ्यों पर आधारित है।
देश के 1952 में हुए पहले आम चुनाव से शुरू होने वाली यह किताब भारत के चुनावी इतिहास की समूची यात्रा को समेटती है। दोराब सुपारीवाला के सहलेखन में आने वाली ये किताब साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर भी टिप्पणी करती है। रॉय ने अपने इस नए काम के बारे में बताते हुये कहा, ‘‘ कुछ महीनों में हम बड़े लोकसभा चुनाव का सामना करेंगे।
चुनावों से अधिक रोमांचक कुछ नहीं हो सकता और विश्च में भारत के चुनावों से अधिक रोमांचक और कुछ नहीं होता। किताब के प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के मुख्य संपादक (बिजनेस व कामर्शियल) मिल्ली ऐश्वर्या के अनुसार यह 2019 के आम चुनाव और उसके बाद के चुनावों के लिए एक अहम किताब होगी।