नई दिल्ली, देश के अधिकांश राज्यों में मिट्टी के जरिये बच्चों के कृमि संक्रमण से प्रभावित होने को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को कीड़ा निरोधक (डीवर्मिंग) कार्यक्रम के दायरे में लाने की पहल की है और इस उद्देश्य के लिए निजी स्कूलों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशाकर्मियों को भी जोड़ा जा रहा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत में कीड़ों के संक्रमण के काफी मामले पाये जाते हैं और 14 वर्ष से कम आयु की 64 फीसद बच्चे मिट्टी के जरिये कीड़ों के संक्रमण से ग्रस्त पाये गए हैं। वर्ष 2015 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मिट्टी के जरिये कृमि संक्रमण के अध्ययन के लिए एक तकनीकी विशेषग्य समूह का गठन किया था। विशेषग्य समूह ने सुझााव दिया था कि जिन राज्यों में मिट्टी के जरिये कृमि संक्रमण 20 फीसदी से अधिक है, वहां साल में दो बार कीड़ा निरोधक (डीवर्मिंग) कार्यक्रम चलाया जाए। इसी तरह जिन राज्यों में यह आंकड़ा 20 फीसदी से कम है, वहां वार्षिक आधार डिवॉमिग कार्यक्रम चलाया जाए। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केवल राजस्थान और मध्य प्रदेश दो राज्य ऐसे हैं, जहां मिट्टी द्वारा कृमि संक्रमण 20 फीसदी से कम है तथा वहां साल में एक बार कार्यक्रम चलाने का सुझााव दिया गया। शेष सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साल में दो बार डीवॉमिग कार्यक्रम चलाया जायेगा। इसके तहत अभी 1 से 9 वर्ष आयु वर्ग के 34 करोड़ बच्चों को इस कार्यक्रम के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस उद्देश्य के लिए पहली बार देशभर के निजी स्कूल के 7.8 करोड़ बच्चों को इसके लिए लक्षित किया गया है। इसके साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कर्मियों के माध्यम से 4.3 करोड़ स्कूली बच्चों को इसके दायरे में लाया जाएगा।