बजट सत्र में तीन तलाक विधेयक समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव होने की आशंका है। सरकार ने भी कल ऐसी बैठक बुलायी है जहां प्रधानमंत्री और शीर्ष विपक्षी नेता उन मुद्दों पर अपनी बात रख सकते हैं जो सदन में उठाये जा सकते हैं।
इस सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान सरकार 29 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी और फिर एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ सत्र शुरू होगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संसद में अपने पहले ऐसे अभिभाषण में कोविंद लोगों खासकर पिछड़े और कमजोर तबकों के विकास एवं सशक्तीरण पर सरकार द्वारा बल दिये जाने को रेखांकित कर सकते हैं। वर्ष 2019 के अगले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा यह आखिरी पूर्ण बजट पेश किये जाने के मद्देनजर ऐसी संभावना है कि इसमें दृढ़ राजनीतिक झलक दिखेगी।
9 फरवरी के बाद मध्यावधि अवकाश के पश्चात फिर पांच मार्च को संसद के बजट सत्र का दूसरा सत्र प्रारंभ होगा जो 6 अप्रैल तक चलेगा। संभावना है कि इस दौरान सरकार तीन तलाक पर संबंधित कानून तथा अन्य पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने की पुरजोश कोशिश कर सकती है। इन दोनों ही विधेयकों का भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से काफी महत्व है। भाजपा तीन तलाक को खत्म करने के लिए काफी मुखर है। शीर्ष अदालत ने हाल ही में तीन तलाक को अमान्य करार दिया था।
लोकसभा ने तीन तलाक के मामले में दोषी मुस्लिम व्यक्तियों के लिए कैद की सजा के प्रावधान वाले विधेयक को पारित कर दिया था लेकिन राज्यसभा में एकजुट विपक्ष ने उसमें अड़ंगा लगा दिया। राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है। भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर पिछड़े वर्गों के बीच अपना समर्थन मजबूत करने की आस कर रही है। संवैधानिक दर्जा मिलने से यह आयोग और मजबूत हो जाएगा।