नई दिल्ली, विविधता को एक दोधारी तलवार बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लोग खासतौर पर युवाओं को सहिष्णुता के मूल्यों को मन में बिठाना चाहिए, असंगत विचारों का सम्मान करना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए, जो भारत जैसे बहुलवादी समाज में जरूरी है। उन्होंने कहा कि बहुलवाद और सहिष्णुता देश की सभ्यता की पहचान है। यदि एक दूसरे की संस्कृति, पसंद और आदतों के बारे में देशवासियों के बीच व्यापक समझ हो तो भारत अपने बहुलवाद पर सफल हो सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा, विविधता एक दोधारी तलवार है। यदि हम सब एकजुटता के साथ सौहार्द से काम करें तो हम एक राष्ट्र के रूप में असीम ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन यदि अलग अलग दिशाओं की ओर खींचा जाता है तो इससे सिर्फ अच्छाई को नुकसान होगा। मुखर्जी ने कहा, हमारी विविधता को हमारी मजबूती बनने देना जारी रखा जाए। राष्ट्रपति ने सोमवार रात 10 दिनों के राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के समापन पर यह कहा। इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय ने किया था। उन्होंने कहा कि एक बहुलवादी समाज में सहिष्णुता के मूल्य, असंगत विचारों के लिए सम्मान और धर्य हमारे नागरिकों में जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच जितनी अधिक बातचीत होगी, उतना ही एक दूसरे का ज्ञान और समझ व्यापक होगा।