बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी ओवैसी का बुरा हाल हुआ है। यूपी में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों के बादउपचुनाव का मैसेज ओवैसी के लिए एकदम साफ है कि वे अब तक यूपी के मुसलमानों के नेता नहीं बन सके हैं। बीकापुर सीट के मतदाताओं में सबसे ज्यादा मुसलमान थे और उसके बाद दलितों का वह हिस्सा था। ओवैसी ने दलित को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद भी ओवैसी के प्रत्याशी का चौथे स्थान पर रहना और जमानत जब्त होना यह समझने के लिए काफी है कि मुसलमानों ने ओवैसी को बिहार की तरह यूपी मे भी अपनाने से मना कर दिया है।
बीकापुर सीट से ओवैसी की यह हार इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि इससे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के बसपा से गठजोड़ करने के मंसूबे पर पानी फिर गया। फैजाबाद की बीकापुर सीट पर उपचुनाव इसलिए रोचक हो गया था क्योंकि ओवैसी ने यहां दलित प्रदीप कोरी को उम्मीदवार बनाया था। हैदराबाद से आए साठ टीमों ने मतदान होने तक बीकापुर में डेरा डाला। मुसलमानों के बीच पंचायत कर यह बताया गया कि मुलायम नहीं, बल्कि ओवैसी ही मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी हैं। हैदराबाद से आए उनके समर्थक उनकी सभाओं में देखो-देखो कौन आया,शेर आया,शेर आया के नारे लगाकर यह साबित करने का प्रयास करते रहे कि मुसलमान ओवैसी के साथ खड़े हो गए हैं, लेकिन नतीजे इसके उलट रहे।