बिहार विधानसभा की 55 सीटों पर चैथे चरण के तहत एक नवंबर को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार राजग तथा महागठबंधन के बीच तीखे वाकयुद्ध के बीच आज शाम समाप्त हो गया। चैथे चरण के तहत सात जिलों मुजफ्फरपुर, सिवान, शिवहर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और गोपालगंज में चुनाव हो रहे हैं। इस चरण में कुल 776 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं और करीब 1.47 करोड़ मतदाताओं के लिए 13,535 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस चरण में जिन उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य का फैसला होगा, उनमें बिहार सरकार में मंत्रियों रमई राम (बोचहां सुरक्षित), रंजू गीता (बाजपट्टी) और मनोज कुशवाहा (कुढ़नी) शामिल हैं। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में इन 55 सीटों में से 26 सीटों पर भाजपा की जीत हुयी थी और उस लिहाज से यह चरण भाजपा के लिए अहम है। पिछले चुनाव में जदयू को 24 और राजद को दो सीटें मिली थी। तीन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए थे। इस बार महागठबंधन की ओर से लालू प्रसाद नीत राजद ने अधिकतम 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि जदयू ने 21 और कांग्रेस ने आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। राजग की ओर से भाजपा ने 42, रामविलास पासवान की लोजपा ने पांच और हम तथा रालोसपा ने चार चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। दिल्ली में तीसरे भारत.अफ्रीका फोरम सम्मेलन के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान ज्यादातर अनुपस्थित रहे और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। शाह ने पिछले तीन दिनों में औसतन छह रैलियों को संबोधित किया। कल पूर्वी चंपारण में रक्सौल में एक सभा में उनकी टिप्पणी कि बिहार में भाजपा हारती है तो पाकिस्तान में दिवाली मनायी जाएगी, ने पहले से ही उबल रहे राजनीतिक माहौल में नया उफान ला दिया।