पटना, बिहार में लागू शराबबंदी का पियक्कड़ों पर अलग-अलग असर पड़ रहा है। कोई शराब नहीं मिलने की स्थिति में विक्षिप्तों की तरह व्यवहार कर रहा है तो कोई शराब के लिए इतना बेचैन हो गया कि बेहोश हो गिर पड़ा। कुछ लोग तो शराब नहीं मिलने के कारण इस कदर बीमार हो गये हैं कि उन्हें इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में भेजा जा रहा है।
बेतिया में तो अजीब घटना हुई है। यहां के 45 वर्षीय गैसुद्दीन पिछले बीस वर्षों से देशी शराब का सेवन कर रहे थे। पिछले दो दिनों से जब उन्हें देशी शराब नहीं मिली तो वे विक्षिप्तों की तरह बर्ताव करने लगे। अचानक वे घर में रखे साबुन को खाने लगे। घरवालों ने किसी तरह उन्हें रोका और फिलहाल उन्हें बेतिया के ही एमजेके अस्पताल स्थित नशा विमुक्ति केन्द्र में भर्ती कराया गया है। उनका इलाज चल रहा है।
मोतिहारी के कुंडवा में भी पचास साल के रघुनंदन बेसरा पर शराबबंदी भारी पड़ रही है। चैनपुर निवासी रघुनंदन पिछले दो दिनों से देशी शराब के लिए बेचैन था। मंगलवार को शराब की बेचैनी इस कदर बढ़ी कि वह बेहोश हो गया। उसे ढाका रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां के चिकित्सकों ने उसे मोतिहारी सदर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया है। सीवान में भी शराबबंदी के बाद शराबियों की हालत बिगड़ने लगी है। शराब नहीं मिलने से उनकी तबीयत बिगड़ रही है और उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जा रहा है।
मंगलवार को यहां के नशामुक्ति केन्द्र में नए 9 मरीजों का इलाज किया गया। इस तरह अभी तक 54 मरीजों का इलाज कराया गया। इनमें से 9 को नशामुक्ति केन्द्र में भर्ती किया गया। इनमें भी दो की हालत सोमवार की रात ज्यादा बिगड़ गई। नशामुक्ति केन्द्र के डॉक्टरों ने उन्हें पीएमसीएच रेफर कर दिया, जबकि सात मरीजों का इलाज अभी चल रहा है। इधर मुजफ्फरपुर के आर्मी कैंटीन में भी मंगलवार को शराब नहीं मिली। शराब के लिए बड़ी संख्या में रिटायर फौजी कैंटीन पहुंचे थे। जैसे ही उन्हें पता चला कि यहां शराब नहीं मिल रही है वे हंगामा करने लगे। किसी तरह उन्हें समझाया गया।