नई दिल्ली, भारतीय जनता पार्टी के सांसदों और पदाधिकारियों ने पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी है कि नोटबंदी राजनीतिक रूप से विनाशकारी साबित हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, रात्रिभोज पर बैठकों के दौरान नेताओं ने अपनी आशंकाओं से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अवगत कराया है। मोदी और शाह द्वारा जनता के पास जाकर सरकार के इस अच्छे निर्णय के प्रचार करने की लगातार अपील के बावजूद सांसद और स्थानीय नेता अंतहीन नकदी की कमी को लेकर लोगों की नाराजगी झेलने को तैयार नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, बैंकों और एटीएम के बाहर नहीं समाप्त होने वाली कतारों पर चिंता व्यक्त करते हुये, उत्तर प्रदेश के सांसदों ने शाह से कहा कि अगर जल्द स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो चुनाव में पार्टी को झटका लग सकता है। बैठकों में उत्तर प्रदेश के कई सांसद शामिल थे। ज्यादातर सांसदों का दर्द था कि प्रधानमंत्री द्वारा तय की गई 50 दिनों की समय सीमा जल्द खत्म होने वाली है, लेकिन बैंकों और एटीएम के बाहर स्थिति नहीं सुधर रही है। 50 दिनों के बाद हम मतदाताओं से क्या कहेंगे? कुछ सांसद इतना डरे थे कि उन्होने कहा कि हम मार खाना नहीं चाहते हैं। जब हम अपने संसदीय क्षेत्रों में जाते हैं तो बाहर निकलने से बचते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के सांसदों का कहना था कि 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद काम छूटने के कारण गुजरात, पंजाब और दिल्ली से उत्तर प्रदेश के श्रमिक वापस घर लौट रहे हैं जिससे गांवों मे बीजेपी के खिलाफ माहौल बन रहा है। भाजपा किसान मंच ने शाह से कहा कि नोटबंदी के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है और नकदी की कमी के कारण बुवाई व आवश्यक खरीदें प्रभावित हुई हैं। भाजपा युवा शाखा ने महसूस किया कि शहरों में स्थिति संभालने लायक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में संकट है।
सांसदों का यह भी कहना था कि नोटबंदी के बाद नियमों में अनेक बदलावों से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी है और जनता की और नाराजगी बढ़ी है जो मतदाताओं के सामना करने में सांसदों और पार्टी नेताओं के लिए एक अन्य चिंता विषय है।