नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट आदेश मिलने के बावजूद बीसीसीआई ने अपना रूख नहीं बदला है और उसने चयन समिति की बैठक के लिये लोढा समिति से लिखित मंजूरी मांगी जिसके चलते तकनीकी कारणों से बैठक में तीन घंटे विलंब हुआ। असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई जब पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी ने सीईओ राहुल जौहरी से पूछा कि उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के लिये टीम के चयन के लिये होने वाली बैठक के बारे में सूचना क्यो नहीं दी गई। बीसीसीआई के संविधान के तहत वह ही बैठक बुला सकते हैं।
लोढा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायण ने जौहरी को साफ शब्दों में लिखे ईमेल में कहा कि पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी सुप्रीम कोर्ट के दो और तीन जनवरी के फैसले के बाद अयोग्य हैं और बैठक नहीं बुला सकते चूंकि सचिव अजय शिर्के को भी न्यायालय ने पदच्युत कर दिया। ईमेल में कहा गया, समिति को आपका ईमेल मिला। यह स्पष्ट किया जाता है कि अमिताभ चौधरी न्यायालय के दो और तीन जनवरी के फैसले के बाद अब बीसीसीआई के संयुक्त सचिव या बीसीसीआई या राज्य संघ के पदाधिकारी नहीं है। इसमें आगे कहा गया, वह बीसीसीआई के मामले में या कामकाज में दखल नहीं दे सकते। आप चयन समिति की बैठक बुला सकते हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवरों की श्रृंखला के लिये भारतीय टीम के चयन के लिये बैठक दोपहर 12.30 पर शुरू होनी थी लेकिन अधिकारियों ने कहा कि लाजिस्टिक से जुड़े मसले हैं और पांचों चयनकर्ता नहीं पहुंचे हैं। दोपहर 1.33 पर बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी ने शंकरनारायण को भेजे ईमेल में उन्हें अमिताभ चौधरी से मिले ईमेल की जानकारी दी और बैठक को लेकर निर्देश मांगे। उन्होंने कहा, मुझे बीसीसीआई संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी का ईमेल मिला जिसमें कहा गया कि बैठक शाम तक के लिये स्थगित कर दी जाये ताकि वह इसे बुला सके और इसमें भाग ले सकें। इसमें कहा गया, अभी तक हमें अलग अलग कानूनी सलाह मिली है कि राज्य संघ में नौ साल तक पदाधिकारी रहा व्यक्ति दो जनवरी के न्यायालय के फैसले के तहत बीसीसीआई के पदाधिकारी के तौर पर अयोग्य है या नहीं। हमें इस संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगने के लिये कहा गया। जौहरी ने कहा, अमिताभ चौधरी राज्य संघ के पदाधिकारी के तौर पर नौ साल पूरे कर चुके हैं लेकिन बीसीसीआई पदाधिकारी के रूप में अभी नौ साल पूरे नहीं किये हैं।