नई दिल्ली, प्रधानमंत्री कार्यालय ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रस्तावित नई नीति को मंजूरी देने से पहले वर्तमान राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन एवं परिणामों का मूल्यांकन किसी बाह्य एजेंसी से कराने को कहा है।
पीएमओ ने अभिभावकों एवं वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम 2007 के कार्यान्वयन पर ताजा स्थिति से अवगत कराने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पीएमओ ने वरिष्ठ नागरिकों पर मसौदा नीति के बारे में कुछ अन्य जानकारी भी मांगी है जिसे कुछ समय पहले उसके समक्ष मंजूरी के लिए भेजा गया था। नई मसौदा नीति को मंजूरी मिलने के बाद यह बुजुर्गो पर वर्तमान राष्ट्रीय नीति, 1999 का स्थान लेगी। मंत्रालय को भेजे गए पीएमओ के वक्तव्य में कहा गया है, मंत्रालय को वरिष्ठ नागरिकों पर पूर्व की नीति के कार्यान्वयन, प्रभाव और इसके परिणामों का मूल्यांकन किसी बाह्य एजेंसी से कराना चाहिए। इसमें कहा गया है कि, यह जानने का प्रयास किया जाना चाहिए कि राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान ने इस दिशा में क्या कुछ किया है और वह किस प्रकार से राष्ट्रीय कौशल विकास ढांचे के समरूप है।
मंत्रालय से कहा गया है कि वह दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के साथ सुगम्य भारत अभियान के तहत पहुंच बनाने के विषय पर चर्चा करे। इस उद्देश्य के लिए शहरी विकास और भारतीय मानक ब्यूरो से जुड़ा मंत्रालय नई इमारतों के बारे में दिशानिर्देशों को भी देखेगा। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों पर राष्ट्रीय नीति 2016 का मसौदा तैयार किया है जिसका मकसद आईपीसी और अभिभावक एवं नागरिक कल्याण एवं देखरेख अधिनियम 2007 जैसे वर्तमान कानूनों में अधिक सख्त प्रावधान लाना है ताकि बुजुर्गो के खिलाफ अपराध पर लगाम लगाई जा सके। मसौदा नीति में वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर और व्यवहार्य स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने और प्रोत्साहन देने पर जोर दिया गया है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य बीमा का विवेकपूर्ण संयोग है। इसमें बुजुर्गो की स्वास्थ्य संबंधी देखरेख के राष्ट्रीय कार्यक्रम के जल्द से जल्द विस्तार की बात कही गई है जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय लागू कर रहा है