गया, बुद्ध जयंती को लेकर भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया को पंचशील ध्वज से सजाया गया है, इसके अलावा विभिन्न महाविहारों को भी आकर्षक रोशनी एवं फूलों से सजाया गया है।
विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधा दी गई है। बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी एवं स्थानीय प्रशासन के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क बस सेवा, स्वास्थ्य कैंप एवं शरबत-पानी एवं चना का वितरण किया जा रहा है। अभी से ही लगभग 10 हजार से भी ज्यादा की संख्या में देश-विदेश के बौद्ध श्रद्धालु बोधगया पहुंच चुके हैं। वहीं, स्थानीय लोग भी श्रद्धालुओं की सेवा भाव में लगे हुए हैं।
बोधगया स्थित श्रीलंकाई महाविहार के द्वारा श्रद्धालुओं के बीच खीरदान दिया जा रहा है, जहां आने वाले श्रद्धालु भी खीर का लुफ्त उठा रहे हैं।
इस संबंध में बौद्ध भिक्षु भंते अशोक वंश ने बताया कि बौद्ध धर्म में खीरदान का बहुत ही महत्व है। भगवान बुद्ध बोधगया से कुछ ही दूरी पर स्थित डुंगेश्वरी पहाड़ी पर अन-जल त्याग कर साधना में जुट गए थे। इस दौरान उनका शरीर काफी कमजोर पड़ गया। इसके बाद वे बोधगया पहुंचे, जहां सुजाता नामक महिला ने उन्हें खीर खिलाया। जिसके बाद उनके शरीर में ऊर्जा का संचार हुआ। फिर बोधिवृक्ष के नीचे उन्होंने ध्यान लगाया, जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. इसलिए खीरदान का बड़ा ही महत्व है। यही वजह है कि श्रीलंकाई महाविहार के बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के बीच खीरदार दिया जा रहा है।
स्थानीय युवक रोहित राय ने बताया कि बुद्ध जयंती को लेकर देश-विदेश से हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षु एवं श्रद्धालु बोधगया आते हैं। ऐसे में हमलोगों के द्वारा प्रतिदिन बौद्ध भिक्षुओं को निशुल्क भोजन कराया जा रहा है। साथ ही उनके बीच पानी का भी वितरण किया जा रहा है, ताकि शांति और ज्ञान की भूमि से पूरी दुनिया में एक अच्छा संदेश जाए।