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भारत ने मुझे संयम सिखाया – करमापा

नई दिल्ली,  करमापा के लिए भारत एक खास जगह है, उनका कहना है कि इसका उन्हें व्यक्तिगत रूप से कई मायनों में फायदा मिला है खासकर संयम समेत कई आध्यात्मिक शक्तियों के विकास में। करमापा ने कहा, तिब्बती लोगों के लिए खासकर भारत एक बेहद खास देश है। कई लोग तिब्बत से भारत चले आए। इसलिए सभी तिब्बती लोगों के लिए भारत का हमारे दिलों में एक खास स्थान है।

17वें करमापा ओगिन त्रिनले दोरजे ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, मैं 17 वर्ष पहले भारत आया था। व्यक्तिगत रूप से इस अवधि में कई बार मुश्किल समय का सामना करना पड़ा। लेकिन जब मैं आया तो भारत ने संयम समेत मेरी आध्यात्मिक शक्तियों के विकास में मदद दी। तिब्बती बौद्ध धर्म के पंथ करमा काज्ञु के आध्यात्मिक प्रमुख करमापा ने इंटरकनेक्टेडः एंब्रेसिंग लाइफ इन अवर ग्लोबल सोसाइटी नाम की किताब लिखी है जिसका प्रकाशन विस्डम पब्लिकेशन्स ने किया है।

इसके वितरक हैं सिमोन ऐंड शूस्टर। किताब में करमापा ने लिखा है, भारत में रहना मेरे लिए तिब्बत में रहने से कहीं ज्यादा लाभदायक रहा। अगर मैं अपने सुपरिचित दायरे से बाहर नहीं निकलता तो मैं इतने लोगों से नहीं मिल पाता और ना ही इतना कुछ सीख पाया या कर पाता। यह किताब तीन हिस्सों में बंटी है। यह हिस्से हैं- सीइंग दी कनेक्शन, फीलिंग दी कनेक्शन और लीविंग दी कनेक्शन।

किताब मुख्यतः उन चर्चाओं पर आधारित है जो करमापा ने वर्ष 2013 में अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के समूह के साथ की थी। उनसे पूछा गया कि क्या व्यक्तिगत संपर्क कम होते जा रहे हैं तो करमापा ने कहा, तकनीक के विकास के कारण संपर्क बनाना लोगों के लिए आसान हो गया है और इसलिए लोग उनको महत्व नहीं दे रहे। लोग दूसरों से अपने संबंधों को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि इसकी दूसरी वजह यह है कि अब लोगों के पास एक दूसरे से जुडने के लिए वक्त नहीं है।