नई दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की करेंसी नोट प्रिंटिंग प्रेस ने अपनी प्रिंटिंग क्षमता को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उसने यह भी कहा है कि उनकी वेबसाइट पर इसी तरह की जानकारी उपलब्ध है।
पुणे में रहने वाले विहर धुर्वे ने एक आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के जरिए एक जानकारी मांगी थी। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड ने सूचना अधिकार एक्ट के सेक्शन 8(1)(ं) का हवाला देते हुए कोई भी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है। क्या कहती है धारा 8(1)(ए):- धारा 8(1)(ए) के मुताबिक, ऐसी जानकारी जिसे सार्वजनिक किए जाने से भारत की संप्रभुता और एकता, सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, विदेशी राज्य के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचता है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस प्रेस की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि एक साल दो शिफ्ट्स के आधार पर दोनों प्रेस की मौजूदा क्षमता 1600 करोड़ नोट छापने की है। आपको बता दें कि धुर्वे ने अपनी आरटीआई एप्लिकेशन में 500 और 2000 रुपए के नए नोट की छपाई क्षमता जानने की कोशिश की है।
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड नोट करेंसी प्रेस का संचालन करती है। एक प्रेस कर्नाटक के मैसूर में है और दूसरी पश्चिम बंगाल के सालबोनी में है। इससे पहले भी एक बार दायर की गई आरटीआई में प्रेस ने यह बात बताने को मना कर दिया था कि वे सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद किस तरह स्थिति को काबू में कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय के मुताबिक पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों का मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये था। नोटबंदी की वजह बताने से आरबीआई का इनकार:- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नोटबंदी के फैसले के पीछे की वजह बताने से इनकार कर दिया है। आरबीआई का मानना है कि इस बारे में जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। साथ ही आरबीआई ने यह बताने से भी इनकार कर दिया है कि पुरानी करेंसी वापस लेने के बाद बाजार में जो करेंसी वैक्यूम बना है उसे भरने में कितना वक्त लगेगा। दरअसल, आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत आरबीआई से इस बारे में जानकारी मांगी गई थी। आरबीआई ने इसके जवाब में कहा, जो जानकारी मांगी गई है उसका प्रकृति किसी घटना की भविष्य की तारीख के बारे में जानना है और यह आरटीआई एक्ट की धारा 2(एफ) के तहत सूचना की श्रेणी में नहीं आती।