गया , बौद्ध धर्म में तीन माह के वर्षाकाल की समाप्ति के बाद भिक्षुओं और श्रद्धालुओं के बीच चीवर ;गेरुआ वस्त्रद्ध दान की परंपरा के तहत भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में वट लाव इंटरनेशनल मठ में चीवरदान समारोह का आयोजन किया गया। मठ के के प्रभारी भिक्षु भंते साइसाना बोधवांग ने आज बताया कि तीन माह के वर्षाकाल व्यतीत करने के बाद बौद्ध श्रद्धालुओं के बीच चीवरदान की परंपरा रही हैं।
उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में बौद्ध भिक्षु तीन महीने तक एक जगह पर ही रहकर पूजा.अर्चना एवं आराधना करते हैं। वर्षा ऋतु समाप्त होने के बाद एक महीने तक चीवरदान की परंपरा रहती है। इस दौरान कठिन चीवरदान समारोह का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि आज के समारोह में विभिन्न देशों के बौद्ध धर्मगुरुओं के बीच चीवर दान दिया गया है। चीवरदान समारोह मुख्य पुजारी बुमनी किटी घम्मावनो के नेतृत्व में किया गया है।
वहीं मठ के प्रबंधक संजय कुमार ने कहा कि बौद्ध श्रद्धालुओं में चीवरदान का बहुत बड़ा महत्व हैं। चीवर एक प्रकार का वस्त्र होता हैए जिसे पहनकर बौद्ध धर्मगुरु पूजा.पाठ करते हैं। चीवरदान पूरे वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि आज के समारोह में थाईलैंडए वियतनामए अमेरिकाए लाओस सहित कई देशों के सैकड़ों बौद्ध श्रद्धालु शामिल हुए हैं। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन अंतिम चीवरदान समारोह का आयोजन किया गया हैए जिसमे दैनिक उयोग की सामाग्री बौद्ध भिक्षुओं के बीच वितरित की गई है।