गांधीनगर, महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की ब्राहमण- दलित संघर्ष की हिंसा की चिंगारी अब गुजरात तक पहुंच गई है. दलित समुदाय के सदस्यों ने रैली निकाल कर भाजपा कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया. बुधवार को डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के पोते और एक्टिविस्ट प्रकाश आंबेडकर के संगठन भारिप बहुजन महासंघ समेत आठ संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया. इसके बाद राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए.
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सूरत मे दलित समुदाय के सदस्यों ने एक रैली निकाली और भाजपा कार्यालय के बाहर नारेबाजी की. एक दलित संगठन ने महाराष्ट्र के अपने समुदाय के सदस्यों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए उधना इलाके में एक विरोध मार्च निकाला. ‘समस्त अंबेडकर समाज’ के बैनर तले एकत्र हुए दलित समुदाय के सैकड़ों लोगों ने एक रैली निकाली. उन्होंने उधना रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे धरना दिया. इससे कुछ देर के लिए यातायात प्रभावित हुआ.
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राजकोट के धोराजी के भूखी चौकड़ी के पास अज्ञात लोगों ने यात्रियों को उतारकर सरकारी बस को आग के हवाले कर दिया. सूचना मिलते ही दमकल कर्मी घटनास्थल पर पहुंच गए. बुधवार को इस आगजनी की घटना के पहले गुजरात के वापी में दलित सेना ने हाईवे जाम किया. साथ ही टायर जलाए. इसके बाद नासिक-नंदुरबार को बस सेवा पूरी तरह बंद करनी पड़ी. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और राज्य में कहीं से भी किसी और प्रदर्शन की खबर नहीं है.
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भीमा कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 450 महार समेत कुल 500 सैनिक थे और दूसरी तरफ पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे. सिर्फ 500 सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.
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हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं. यहीं वो जयस्तंभ स्थित है, जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी. कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं.
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